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Irrfan First Death Anniversary: इरफान को फिल्म एक्टर बनते नहीं देखना चाहते थे उनके एक्टिंग गुरू!

Irrfan First Death Anniversary: इरफान को फिल्म एक्टर बनते नहीं देखना चाहते थे उनके एक्टिंग गुरू!

by Sneha Shukla

मुम्बई। एक दुर्लभ किस्म के कैंसर का शिकार होने के पिछले साल 29 अप्रैल को बेवक्त ही हम सबसे जुदा हो गए उमदा एक्टर रहे इरफान खान की तमाम भावनाओं के बारे में उनकी और चाहनेवालों के दिलों में हमेशा ही जिंदा रहेंगी। उनकी पहली बरसी के मौके पर एबीपी न्यूज ने बात की जयपुर में इरफान के एक्टिंग गुरू रहे रवि चतुर्वेदी से जिन्होंने इरफान के फिल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले और बाद की तमाम यादों को हमारे साथ साझा किया।

सिनेमा की दुनिया में कदम रखने से पहले जयपुर में रहते हुए इरफान खान ने रंगमंच की दुनिया से खुद को जोड़ा और सालों तक अपनी एक्टिंग को निखारते रहे। इसी दौरान मन्नू भंडारी की किताब ‘महाभोज’ पर आधारित एक नाटक में इरफान खान ने एक ऐसे वाचमैन का रोल प्लेया था जो पूरे नाटक में बस चुपचाप खड़ा रहता है। इस नाटक को दर्शकों के तौर पर देख रहे थिएटर डायरेक्टर रवि चतुर्वेदी की नजर पहली बार इरफान पर पड़ी थी। इसके बाद इरफान ने लगातार तीन साल तक थिएटर डायरेक्टर रवि के छोटे से नाटक ग्रुप के साथ जुड़े रहे जहां उन्होंने न सिर्फ राव के निर्देशन में कुछ नाटकों में अभिनय किया, बल्कि नाटकों को बैकस्ट मैनेजमेंट से जुड़े कई छोटे-मोटे कामों को भी पूरी तरह से उजागर किया। के साथ किया।

एबीपी न्यूज से विशेष बातचीत करते हुए इरफान के एक्टिंग गुरू और थिएटर डायरेक्टर रहे रवि चतुर्वेदी ने कहा, “मन्नू भंडारी की किताब पर आधारित नाटक में यूं तो इरफान का कोई खास किरदार नहीं था। उसे नाटक में मुख्यमंत्री के एक दरबान के तौर पर देखा गया। महज खड़े ही रहना था जिसमें उनका कोई डायलॉग भी नहीं था। लेकिन नाटक देखते वक्त बार-बार मेरे नजरें उस पर आ टिक टिक जाता था। मुझे पूरे नाटक के दौरान लगता है कि इरफान में एक एक्टर के तौर पर काफी संभावनाएं हैं। नाटक खत्म होने के बाद मैंने उसके दोस्त के माध्यम से उसे अपनी छोटी सी नाटक कंपनी के साथ जुड़ने की पेशकश की।

इरफान पहली डेथ एनिवर्सरी: इरफान को फिल्म एक्टर बनते नहीं देखना चाहते थे।

“इरफान ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है”
80 के दशक में एक संघर्ष थिएटर थिएटर में रवि चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने इरफान से अपने नाटकों में एक्टिंग करवाने के साथ बैकस्टेज मैनेजमेंट का भी खूब काम करवाया और इरफान ने मन लगाकर हर जिम्मेदारी को बजाऊबी प्लेया भी। राव कहते हैं, “कुछेक बार ऐसा भी हुआ कि नाटक की मांग के अनुरूप ठीक से अपने किरदार को नहीं खेलना पाने के कारण मैंने अपना गुस्सा इरफान पर उतारते हुए उसे थप्पड़ भी जड़े थे। उन तीन सालों में उसने मुझे डांड़ भी खूब खाई थी। ।
रवि आगे बताते हैं, “एक नामी एक्टर बन जाने के बाद भी अपने दोस्तों से इस बात का जिक्र किया करता था कि कैसे मेरी कड़े बर्ताव की बदौलत वो अपना ही एक अलग मुकाम बनाने में कामयाब साबित हुईं। वो अपने दोस्तों से कहा करती है कि। वे सभी खुशकिस्मत हैं कि उन्हें मेरे जैसा टीचर मिला है। “

एक्टिंग गुरू का दिल जीतने में 30 साल लगे
इरफान ने भले ही अपनी एक्टिंग से दुनिया का दिल जीता हो, लेकिन उन्हें अपने एक्टिंग गुरू का दिल जीतने में लगभग 30 साल का समय लगा। एक्टिंग गुरू रवि चतुर्वेदी ये कतई नहीं चाहते थे कि इरफान किसी भी फिल्म में कभी काम करे। रवि बताते हैं, “मेरे साथ खेलने के लिए काम करने के दौरान वो कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया था कि वो आगे चलकर एक फिल्म अभिनेता बनना चाहती है। उसे इस बात का अंदेशा था कि अगर वो एक फिल्म एक्टर बनने की। बात मेरे सामने करेगा तो मैं शायद उसे अपने थिएटर ग्रुप से बाहर निकाल दूंगा। वह जानता था कि फिल्में और टीवी एक्टरों को लेकर मेरी राय बहुत अच्छी तरह नहीं हुई थी। “

इरफान पहली डेथ एनिवर्सरी: इरफान को फिल्म एक्टर बनते नहीं देखना चाहते थे।

राव कहते हैं कि उन्होंने कम्युनिस्ट आंदोलन की नाकामी को लेकर ‘एक उद्धरणवस्त धर्मशाला’ के नाम पर एक नाटक का निर्देशन किया था। वे बताते हैं, “इस नाटक में मैं गंभीर किस्म का एक्टर चाहता था। ऐसे में इस नाटक में ऐसे लोगों को कास्ट कर रहा था जो परिपक्व थे। इरफान काफी यंग था लेकिन मुझे उसकी एक्टिंग की काबिलिटी पर पूरा भरोसा था। सो मैं उसे था। इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका में कास्ट कर लिया गया था और जो मेरी उम्मीदों पर खरा साबित हुआ था। निहितौर एक्टर इस नाटक में इरफान को कॉलेज में पढ़ानेवाले कुछ प्रोफेसरों का भी शुमार था, ऐसे में इरफान उनके साथ काम करने को काफी नर्वस भी थे।

“घंटों रिहर्सल करता था इरफान”
रवि चुतर्वेदी कहते हैं कि इरफ़ान अपने सभी नाटकों और अपने हर किरदार को लेकर काफी सवाल किया था और रिहर्सल के लिए तय समय के अलावा आयोजित एक्सट्रा सेशन्स में भी शामिल घंटों तक रिहर्सल किया करता था। वे बताते हैं, “जब मुझे पता चला कि इरफान ने मीरा नायर की फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ के जरिए फिल्मों की दुनिया में कदम रखा है तो मैं खुश होने की बजाय थोड़ा नाराज हो गया था। उस वक्त मुझे लगा था इरफान ने बाजी मारी। चलकर अपना अमूल्य योगदान देंगे और रंगमंच की दुनिया में अपना अलहदा मकम बनाएगा। “

इरफान पहली डेथ एनिवर्सरी: इरफान को फिल्म एक्टर बनते नहीं देखना चाहते थे।

रवि बताते हैं कि एनएसडी में अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद प्रोफेशनली तौर पर नाटकों में काम करने के दौरान एक दिन इरफान से मेरी मुलाकात हुई। इरफान ने मुझे किसी फिल्म के लिए उसकी सिफारिश करने का अनुरोध किया था। किसी की भी सिफारिश नहीं करने के बारे में अपने थुल के कारण जब मैंने इरफान की सिफारिश करने से इनकार किया तो इरफान मुझसे काफी नाराज हो गया था।

इरफान की पहली फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ 1988 में रिलीज हुई थी, लेकिन इसके 22 साल बाद रिलीज हुई इरफान की ‘पान सिंह तोमर’ में वह पहली फिल्म थी जिसे रवि चतुर्वेदी ने थिएटर में जाकर देखा था। रवि कहते हैं, “मुझे इरफान ने नहीं बल्कि मेरे एक दोस्त ने कहा था कि इरफान के लिए ‘पान सिंह तोमर’ देखूं। ये फिल्म देखने के बाद मैंने खासतौर पर इरफान को फोन किया और कहा कि आपने इस फिल्म में बहुत अच्छी एक्टिंग की है। है और आपको इस फिल्म में के लिए अवॉर्ड जरूर मिलेगा। ये सुनने के बाद इरफान ने मुझे कहा था कि ये सुनने के बाद मेरी एक्टिंग का करियर सफल हो गया। इस फिल्म की रिलीज होने तक इरफान मुझे अपनी किसी भी फिल्म को देखने के लिए नहीं है। कहते हैं क्योंकि उन्हें पता था कि कुछ ऊटपटांग फिल्मों में काम करने के लिए मुझे उनसे डांट पड़ेगी। “

उल्लेखनीय है कि अभिनय पान सिंह तोमर ’में उमदा प्रदर्शन करने के लिए इरफान खान को निष्पादन अधिकारी के तौर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था।

नसीरुद्दीन शाह की एक्टिंग के कायल इरफान थे
इरफान खान नसीरुद्दीन शाह की एक्टिंग के कायल था और वह एक दिन उन्हीं की तरह बनने का ख्वाब भी देखा करता था। रवि कहते हैं, “मैं हमेशा से इरफान को कहा करता था कि वह खुद की तुलना नसीर से न किया करे और अपनी एक्टिंग को बहुत तराशकर अपनी एक अलग पहचान बनाये।”

इरफान की तमाम यादों को साझा करने के बाद 74 साल के रवि चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज से जाना-जाना कहते हैं, “मैंने इरफान को एक महान एक्टर नहीं, बल्कि उसे एक्टिंग का एक बहुत ही बढ़िया स्टूडेंट मानते हुए निश्चित ही उसी प्रकार का था। फिल्मों में इरफान ने काम किया था और उन्होंने एक लम्बे संघर्ष के बाद अपना जो मुकाम बनाया, उसके साबित होने के साथ ही इरफान ने एक महान एक्टर बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ाए। लोग के उलट यहां पर लोगों को भी किसी एक्टर को। जज करने की बहुत जल्दी होती है लेकिन मैं उसके प्रदर्शन से प्रभावित होकर भी उसे देखने का एक अलग नजरिया रखता था। “

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