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Kabir das ka janm kab hua tha

कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था ?

by Pritam Yadav

Kabir das ka janm kab hua tha :-कबीरदास जी एक महान कवि थे और हम बचपन से ही इनकी रचनाओं को पढ़ते आ रहे है। लेकिन आज भी कबीरदास जी के जन्म से संबन्धित लोगों को कई सारी शंकाएँ है, क्यूकी इनके जन्म के संबंध में कई मत दिये गए है। इसलिए अकसर लोगो का प्रश्न होता है की कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था ?

इसलिए आज के इस लेख में हम जानेंगे की कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था? साथ ही हम इनकी रचनाएँ और मृत्यु के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे। आइये लेख को शुरू करें।


कबीरदास जी कौन थे ? – Kabir das Kaun The ?

कबीरदास या कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया।

उनकी रचनाएँ सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं। वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की।

उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उनका अनुसरण किया। कबीर पंथ नामक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इन्हें मस्तमौला कहा।


कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था ? – Kabir das ka janm kab hua tha

कबीरदास का जन्म कब हुआ, यह ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है। एक मान्यता और कबीर सागर के अनुसार उनका सशरीर अवतरण सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय लहरतारा तालाब में कमल पर हुआ था।

जहां से नीरू नीमा नामक दंपति उठा ले गए थे। उनकी इस लीला को उनके अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं।

कबीरदास का जन्म स्थान भी विवादित है। कुछ लोग मानते हैं कि उनका जन्म वाराणसी में हुआ था, जबकि कुछ का मानना है कि उनका जन्म मगहर में हुआ था।

वाराणसी में कबीरदास का जन्म स्थान माना जाने वाला स्थान लहरतारा तालाब है। इस तालाब में कमल पर एक बालक को नीरू नीमा नामक दंपति ने उठाया था। इस स्थान पर कबीरदास का एक मंदिर भी है।

मगहर में कबीरदास का जन्म स्थान माना जाने वाला स्थान ब्रह्मकुंड है। इस कुंड में कबीरदास का जन्म हुआ था और यहीं पर उनका अंतिम संस्कार भी हुआ था। इस स्थान पर कबीरदास का एक मजार भी है।


कबीरदास का जीवन

कबीरदास का बचपन अत्यंत कठिनाइयों में बीता। उनके माता-पिता उन्हें बहुत प्यार करते थे, लेकिन वे गरीब थे। कबीरदास ने अपने बचपन में ही कर्मकांडों, अंधविश्वासों और सामाजिक कुरीतियों का अनुभव किया। इन अनुभवों ने उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में विकसित किया जो समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं डरते थे।

कबीरदास ने अपने जीवनकाल में कई स्थानों की यात्रा की। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया और लोगों को अपने ज्ञान और शिक्षाओं से अवगत कराया। वे एक कुशल वक्ता और कवि थे। उनकी रचनाओं में उनके विचारों और अनुभवों की झलक मिलती है।

कबीरदास एक रहस्यवादी संत थे। वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास करते थे। उन्होंने अपने ज्ञान और शिक्षाओं के माध्यम से लोगों को ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।


कबीरदास की रचनाएँ

कबीरदास की रचनाओं में दोहा, छंद, सवैया, कविताएँ और गीत आदि शामिल हैं। उनकी रचनाओं का मुख्य विषय ईश्वर, धर्म, समाज और मानवता है।

वे एक निर्गुण भक्त थे और उन्होंने अपने रचनाओं में ईश्वर को एक सर्वव्यापी और निराकार शक्ति के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और कर्मकांडों की निंदा की है और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की है।

कबीरदास की रचनाएँ आज भी उतनी ही बेहतरीन हैं जितनी कि उनके समय में थीं। उनकी रचनाओं ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाया है और वे आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

दोहे

  • माया मोहि माया मोहि, लागी री माया।
  • कबीरा, मन माने न मन, मन की लागी रे।
  • कबीरा, सुनियो रे भाई साधु, मन के मारे मरे।

छंद

  • कबीरा, संत की रीति, सबके संग रीति।
  • कबीरा, बिन पानी साबुन बिना, कैसे धोओगे पाँव।
  • कबीरा, मन चंगा तो कठौती में गंगा।

कबीर दास की मृत्यु कब और कैसे हुई ?

कबीर दास की मृत्यु 1518 ईस्वी में मगहर में हुई थी। उनके निधन के बारे में कई मत प्रचलित हैं। एक मत के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को जलाया नहीं गया, बल्कि उसे यमुना नदी में बहाया गया।

दूसरे मत के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर से सुगंध निकली और उनके शरीर के स्थान पर एक फूल का पौधा उग आया।

कबीर दास की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनके शरीर को मगहर में समाधि दी। आज भी यह समाधि कबीर पंथ के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है।


FAQ’s :

Q1. कबीर दास के मातापिता का नाम क्या था ?

Ans :- कबीरदास के पिता का नाम नीरू और माता का नाम नीमा था।

Q2. कबीर दास की मृत्यु कब हुई ?

Ans :- कबीर दास की मृत्यु मगहर में 1518 ईस्वी को हुई थी।

Q3. कबीर दास जी का जन्म कैसे हुआ था ?

Ans :- कबीरदास जी का जन्म से संबन्धित कई मत प्रचलित है। जैसे इनका जन्म एक ब्राह्मणी के गर्भ 
से हुआ था। और दूसरा मत है की इनको नीरू-नीमा नमक दंपत्तियों ने गंगा में से उठाया था।

Q4. कबीरदास का जन्म कहां है ?

Ans :- कबीरदास जी का जन्म वाराणसी शहर में बताया जाता है।

निष्कर्ष :- 

आज के इस लेख में हमने जाना की कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था ? ( kabir das ka janm kab hua tha ) उम्मीद है, की इस लेख के माध्यम से आपको कबीर दास के जन्म और मृत्यु दोनों से संबन्धित जानकारियाँ मिल पायी होंगी।

यदि आप कबीर दास के जीवन परिचय से संबन्धित कोई अन्य जानकारियाँ प्राप्त करना चाहते है तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपके लिए लेख उपयोगी रहा हो तो इसे अन्य लोगो के साथ भी share करें।


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