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हवलदार राखी (बाएं)  और कोमल यादव तथा रेनू सेहरावत

#LadengeCoronaSe : कोरोना काल में नारी शक्ति संभाल रही दोहरी जिम्मेदारी

by Sneha Shukla

माँ से बढ़कर इस पूरी कायनात में दूसरा नहीं है। इसलिए मां को भगवान का दर्जा दिया जाता है। हर किसी की जिंदगी में मां की भूमिका सबसे अनोखी और अलग होती है।

कोरोना काल में मां दोहरी भूमिका में हैं। स्वास्थ्यकर्मी के रूप में वह कोरोना मरीजों की सेवा कर रहे हैं और वहीं घर व बच्चों की जिम्मेदारी भी बखूबी खेल रहे हैं। पेश हैं ऐसी ही दो महिला स्वास्थ्यकर्मियों की कहानी, जो मिसल बनी हुई हैं।

डॉ, रेनू रेनू सेहरावत: ड्यूटी पर हो गए थे स्वभाव, डेढ़ साल का लाड़ला भी हो गया था दूर

छह महीने से दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरी में कोरोना मरीजों की सेवा में शुरू हुई है। इस दौरान कोरोना सेर्ट भी हो गया था। डेढ़ साल का बेटा है। उसे कोई परेशानी नहीं हो सकती है, इसलिए लगभग एक महीने तक उसे दूर रहना चाहिए। इस दौरान वीडियो कॉल पर ही उसे देखती थी। अब स्वस्थ हो गया हूं और फिर लोगों की जांच करने से लेकर, टाइपों को दवाईयां देने, उन्हें अस्पताल में दाखिल कराने और टीकाकरण के कार्य में शुरू किया गया है। यह कहना है कि दिल्ली सरकार की द्वारका स्थित एक डिस्पेंसरी में कार्यरत स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। रेनू सेहरावत का।

उन्होंने बताया कि वह लोगों की कोरोना जांच की जाती है। ये जो लोग कोरोना से सावधान मिलते हैं, वह उनकी स्वास्थ्य जांचने के बाद उन्हें अस्पताल या होम आइसोलेशन में इलाज कराने की प्रक्रिया की पूरी देखरेख करती हैं। उन्होंने बताया कि जब वह चेतन हो गया था तो उस दौरान करीब एक महीने तक अपने बेटे से दूर रहा था। अलग कमरे में बनेकर वीडियो कॉल और दूर से ही बच्चे को देखती थीं।

वह समय काफी कठिन था कि जब एक माँ के सामने उसको बेटा हो और वह उसे गले भी न लगा सके। ठीक होने के बाद फिर से मरीजों की सेवा में लग गए। अब रोजाना डिस्पेंसरी से वह जब घर पहुंचती हैं तो लगभग एक घंटे तक घर में किसी से नहीं मिलती है। परिवार के हमेशा संक्रमण के विषय में जागरूक करता रहता है। इस समय वह

एक माँ और स्वास्थ्य कर्मी की जिम्मेदारी अच्छी तरह से खेल रही हैं।

कोमल यादव: परिवार की तरह एक साल से कर रही हूं मरीजों की सेवा

एम्स ट्रॉमा सेंटर में तैनात नर्सिंग अधिकारी कोमल यादव पिछले साल अप्रैल से ही कोरोना मरीजों के इलाज में शुरू हुए हैं। इस दौरान कई बार वह 12 से 16 घंटे तक भी अस्पताल में काम करता है। इसके बाद घर की देखरेख का जिम्मा भी संभालती हैं। परिवार कोप है कि वह इतने लंबे समय से लगातार कोरोना रोगियों की सेवा में शुरू कर चुके हैं। कोमल बताती हैं कि उनके परिवार में पांच लोग हैं। सभी देखभाल वह करता है।

इस कार्य में उनके पति पूर्ण सहयोग करते हैं। अस्पताल से ड्यूटी के बाद जब वह घर आता है तो बच्चों से सामाजिक दूरी बनाकर रखता है। इस दौरान पूरी एहतियात बरतती है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले वह कोरोना क्षमताओं हो गई थी। इस दौरान उनके दोनों बेटे भी पॉजिटिव हो गए थे। तब वह काफी डर गया, लेकिन सकारात्मक सोच और परिवार के सहयोग से सब ठीक हो गया। कोरोना वार्ड में ड्यूटी करते हुए उन्हें एक साल से ज्यादा का समय हो गया है।

उनके सामने कई हजार मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। वह परिवार की देखरेख के साथ मरीजों की सेवा भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोविड वार्ड में ड्यूटी करना उन्हें अच्छा लगता है। उनकी कोशिश रहती है कि वह अपने परिवार की तरह ही मरीजों की सेवा करती रहें।

हवलदार राखी: पूरा परिवार था को विभाजित पॉजिटिव, महिला हवलदार ने मासूम को पहुंचायॉ ननिहाल

मदर्स डे पर शाहदरा जिले की एक महिला हवलदार राखी ने एक परिवार की मदद कर उन्हें कुछ ऐसा तोहफा दिया, जिसे शायद वह जीवनभर भी भुला नहीं पाएंगे। दरअसल जीटीबी नगर में रहने वाला एक पूरा परिवार को विभाजित पॉजिटिव हो गया है। परिवार में बस छह महीने का मासूम की निगेटिव थी। परिवार को मासूम की चिंता सताई तो उन्होंने उसे नानी के घर भिजवाना चाहा। कोई मदद को आग नहीं आई। किसी परिजन ने शाहदरा जिले में तैनात हवलदार राखी से मदद मांगी तो उसका दिल पिघल गया।

वह फौरन पीड़ित परिवार के घर पहुंची। वहाँ से मासूम को लेकर फौरन की गाड़ी से उसको खुद गाजियाबाद के मोदी नगर को छोड़कर आई। इस दौरान राखी ने एक महीने की तरह मासूम का ध्यान रखा। सभी ने हवलदार के इस काम की जमकर तारीफ की है।

शाहदरा जिला पुलिस उपायुक्त ने बताया कि पीड़ित परिवार के माता-पिता, दादा-दादी सभी कोरोना पॉजिटिव थे। ऐसे में मासूम को अपने साथ रखना बिल्कुल ठीक नहीं था। परिवार ने उसे नाना-नानी के पास मोदीनगर की कृष्णा कालोनी भेजने का मन बनाया। नाना-नानी कर्फ्यू और अन्य कारणों से दिल्ली आ नहीं सकते थे। कोई रिश्तेदार भी डर की वजह से बच्चे को छोड़ने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में किसी रिश्तेदार के जरिये राखी को बच्चे का पता चला।

वह खुद को रोक नहीं पाया और ठीक जीटीबी नगर, उत्तर-पश्चिम जिला मासूम के घर पहुंच गया। वहां परिवार से मासूम को लेकर सीधी गाजियाबाद पहुंची। इस दौरान उन्होंने बच्चे की बहुत अच्छी देखभाल की। सोशल मीडिया पर राखी चर्चाओं में बनी रही। वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी जमकर तारीफ की। राखी शाहदरा जिला परिषद कार्यालय में कार्यरत है। उसके खुद के दो बच्चे हैं।

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