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प्रतीकात्मक तस्वीर

#LadengeCoronaSe : दिल्ली को डीआरडीओ की ऑक्सीजन भी मिलेगी, लेकिन फिर भी संकट

by Sneha Shukla

ख़बर सुनकर

देश की सुरक्षा में इस्तेमाल ऑक्सीजन जल्द ही राजधानी के अस्पतालों को मिलेगा लेकिन कोरोनाटे रोगियों के लिए चिंता की खबर है कि अस्पतालों में अभी ऑक्सीजन का संकट कुछ समय और देखने को मिल सकता है। आशंका यहां तक ​​है कि दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिन तक अस्पतालों को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बुधवार को किए गए इंतजामों का असर 72 से 75 घंटे बाद ही दिखाई दे सकेगा। तब तक थोड़ी बहुत जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन मिलती रहेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जानकारी दी है कि डीआरडीओ के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए थे जिनका इस्तेमाल कानूनी सुरक्षा में किया गया था। अभी तक इस ऑक्सीजन को अस्पतालों में पहुंचाने का फैसला लिया गया है जिसकी शुरुआत दिल्ली से होगी। यहां के अस्पतालों को अगले कुछ समय में ऑक्सीजन मिलना शुरू हो जाएगा। वहीं दिल्ली में 500 बिस्तर वाले डीआरडीओ के केंद्र और सेना के को विभाजित अस्पताल को भी यह ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी।

इसके अलावा ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से भी ऑक्सीजन रेलमार्ग के जरिए दिल्ली आएगी।हालांकि इस पर दिल्ली सरकार ने प्रतिक्रिया दी है कि राजधानी की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि अधिक लंबे समय तक ऑक्सीजन का इंतजार नहीं किया जा सकता है। सरकार ने यहां तक ​​कहा है कि केंद्र ने बड़ी चतुराई बुधवार बुधवार को 102 टन टन अतिरिक्त ऑक्सीजन दिल्ली को देने की घोषणा की है जिसमें से 70 ओड़िशा और 30 मिलियन टन ऑक्सीजन पश्चिम बंगाल से आएगी। ये टेंकर को यहाँ तक आने में 72 घंटे का समय लगेगा जोकि समय के अनुरुप उचित नहीं है।

आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के अस्पतालों में वर्तमान में 15 हजार से भी अधिक कोरोनाफॉर्म रोगी भर्ती हैं, जिनमें से लगभग सात से आठ हजार मरीज ऑक्सीजन, आईसीयू या फिर वेंटिलेटर पर हैं। इन रोगियों को कम से कम 700 मिलियन टन ऑक्सीजन प्रतिदिन चाहिए लेकिन वर्तमान में 378 मिलियन टन ही आपूर्ति हो रही है लेकिन बुधवार को केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 480 मिलियन टन कर दिया है लेकिन इस 102 मिलियन टन के लिए दिल्ली को कम से कम तीन दिन का इंतजार करना होगा क्योंकि यह टैंकर ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से आने वाले हैं।

इससे ज्यादा नहीं मिल में ऑक्सीजन हो सकती है
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस वक्त दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के हालात गंभीर हैं। देश भर में 7500 मिलियन टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जिसमें 6700 टन टन ऑक्सीजन राज्यों को मिल रहा है। इससे अधिक ऑक्सीजन वर्तमान में उपलब्ध नहीं हो स कती है। केंद्र के आगे वह सभी राज्य प्राथमिकता पर हैं जहां कोरोना महामारी की लहर सबसे घातक है। इसमें दिल्ली के अलावा 14 और राज्य भी हैं। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय की मदद से ऑक्सीजन एक्सप्रेस ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से दिल्ली आएगी। कोशिश यही है कि जल्द से जल्द इसे बुलाया जाए लेकिन डीआरडीओ और इन प्रयासों के बाद भी तीन दिन से पहले आपूर्ति नहीं हो सकती है।

हर अस्पताल का रखरखाव ऑक्सीजन कमेटी: केंद्र सरकार
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि हर अस्पताल को एक-एक ऑक्सीजन कमेटी का गठन करना चाहिए। यह कमेटी हर दिन समीक्षा करते हुए यह तय करेगा कि उनके पास कितनी ऑक्सीजन का भंडारण है और कितने समय तक वह चल सकता है। इसके अलावा कमेटी यह भी निर्धारित करेगी कि जरूरतमंद मरीज को ही अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए भर्ती किया जाए। बिना लक्षण के या फिर हल्के असर वाले रोगियों को भर्ती करने के लिए उचित नहीं है।

हरियाणा-यूपी की थ्योरी गलत, केंद्र कर रही मदद
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से रोके जाने को लेकर इंकार किया है। उनका कहना है कि यह थ्योरी पूरी तरह से गलत है। स्वास्थ्य मंत्रालय का एक कॉल सेंटर है जहां 24 घंटे काम किया जा रहा है। यहाँ से ऑक्सीजन टैंकर की कहानी को लेकर राज्यों के बीच सहयोग स्थापित किया जाता है। मोदी नगर से भी कॉल सेंटर के जरिए टैंकर दिल्ली आया था।

दो दिन पहले दिया था आदेश, फिर भी किल्लत
केंद्र सरकार ने दो दिन पहले दिल्ली को 378 टन टन ऑक्सीजन उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड स्थित प्लांट से उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया तक पर इसे साझा किया था जिसमें सात राज्यों को तीन हजार से अधिक टन टन ऑक्सीजन की व्यवस्था की थी। इसमें एक दिल्ली भी है लेकिन बुधवार को फिर से आदेश जारी हुआ और गणितीय आकलन दिखाते हुए ने बताया कि 102 मिलियन टन ऑक्सीजन और दे रहे हैं लेकिन इसमें जिन राज्यों का जिक्र किया उसमें ओड़िशा और पश्चिम बंगाल को शेष पुराने आदेश वाले राज्य हैं जहां से अभी तक ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पाई है। अब ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से आने में भी जल्द लगेगा, इसलिए दिल्ली सरकार इस व्यवहार पर सवाल भी खड़े कर रही है।

विस्तार

देश की सुरक्षा में इस्तेमाल ऑक्सीजन जल्द ही राजधानी के अस्पतालों को मिलेगा लेकिन कोरोनाटे रोगियों के लिए चिंता की खबर है कि अस्पतालों में अभी ऑक्सीजन का संकट कुछ समय और देखने को मिल सकता है। आशंका यहां तक ​​है कि दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिन तक अस्पतालों को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बुधवार को किए गए इंतजामों का असर 72 से 75 घंटे बाद ही दिखाई दे सकेगा। तब तक थोड़ी बहुत जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन मिलती रहेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जानकारी दी है कि डीआरडीओ के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए थे जिनका इस्तेमाल कानूनी सुरक्षा में किया गया था। अभी तक इस ऑक्सीजन को अस्पतालों में पहुंचाने का फैसला लिया गया है जिसकी शुरुआत दिल्ली से होगी। यहां के अस्पतालों को अगले कुछ समय में ऑक्सीजन मिलना शुरू हो जाएगा। वहीं दिल्ली में 500 बिस्तर वाले डीआरडीओ के केंद्र और सेना के को विभाजित अस्पताल को भी यह ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी।

इसके अलावा ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से भी ऑक्सीजन रेलमार्ग के जरिए दिल्ली आएगी।हालांकि इस पर दिल्ली सरकार ने प्रतिक्रिया दी है कि राजधानी की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि अधिक लंबे समय तक ऑक्सीजन का इंतजार नहीं किया जा सकता है। सरकार ने यहां तक ​​कहा है कि केंद्र ने बड़ी चतुराई बुधवार बुधवार को 102 टन टन अतिरिक्त ऑक्सीजन दिल्ली को देने की घोषणा की है जिसमें से 70 ओड़िशा और 30 मिलियन टन ऑक्सीजन पश्चिम बंगाल से आएगी। ये टेंकर को यहाँ तक आने में 72 घंटे का समय लगेगा जोकि समय के अनुरुप उचित नहीं है।

आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के अस्पतालों में वर्तमान में 15 हजार से भी अधिक कोरोनाफॉर्म रोगी भर्ती हैं, जिनमें से लगभग सात से आठ हजार मरीज ऑक्सीजन, आईसीयू या फिर वेंटिलेटर पर हैं। इन रोगियों को कम से कम 700 मिलियन टन ऑक्सीजन प्रतिदिन चाहिए लेकिन वर्तमान में 378 मिलियन टन ही आपूर्ति हो रही है लेकिन बुधवार को केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 480 मिलियन टन कर दिया है लेकिन इस 102 मिलियन टन के लिए दिल्ली को कम से कम तीन दिन का इंतजार करना होगा क्योंकि यह टैंकर ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से आने वाले हैं।

इससे ज्यादा नहीं मिल में ऑक्सीजन हो सकती है

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस वक्त दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के हालात गंभीर हैं। देश भर में 7500 टन टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है जिसमें 6700 टन टन ऑक्सीजन राज्यों को मिल रहा है। इससे अधिक ऑक्सीजन वर्तमान में उपलब्ध नहीं हो स कती है। केंद्र के आगे वह सभी राज्य प्राथमिकता पर हैं जहां कोरोना महामारी की लहर सबसे घातक है। इसमें दिल्ली के अलावा 14 और राज्य भी हैं। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय की मदद से ऑक्सीजन एक्सप्रेस ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से दिल्ली आएगी। कोशिश यही है कि जल्द से जल्द इसे बुलाया जाए लेकिन डीआरडीओ और इन प्रयासों के बाद भी तीन दिन से पहले आपूर्ति नहीं हो सकती है।

हर अस्पताल का रखरखाव ऑक्सीजन कमेटी: केंद्र सरकार

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि हर अस्पताल को एक-एक ऑक्सीजन कमेटी का गठन करना चाहिए। यह कमेटी हर दिन समीक्षा करते हुए यह तय करेगा कि उनके पास कितनी ऑक्सीजन का भंडारण है और कितने समय तक वह चल सकता है। इसके अलावा कमेटी यह भी निर्धारित करेगी कि जरूरतमंद मरीज को ही अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए भर्ती किया जाए। बिना लक्षण के या फिर हल्के असर वाले रोगियों को भर्ती करने के लिए उचित नहीं है।

हरियाणा-यूपी की थ्योरी गलत, केंद्र कर रही मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से रोके जाने को लेकर इंकार किया है। उनका कहना है कि यह थ्योरी पूरी तरह से गलत है। स्वास्थ्य मंत्रालय का एक कॉल सेंटर है जहां 24 घंटे काम किया जा रहा है। यहाँ से ऑक्सीजन टैंकर की कहानी को लेकर राज्यों के बीच सहयोग स्थापित किया जाता है। मोदी नगर से भी कॉल सेंटर के जरिए टैंकर दिल्ली आया था।

दो दिन पहले दिया था आदेश, फिर भी किल्लत

केंद्र सरकार ने दो दिन पहले दिल्ली को 378 टन टन ऑक्सीजन उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड स्थित प्लांट से उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया तक पर इसे साझा किया था जिसमें सात राज्यों को तीन हजार से अधिक टन टन ऑक्सीजन की व्यवस्था की थी। इसमें एक दिल्ली भी है लेकिन बुधवार को फिर से आदेश जारी हुआ और गणितीय आकलन दिखाते हुए ने बताया कि 102 मिलियन टन ऑक्सीजन और दे रहे हैं लेकिन इसमें जिन राज्यों का जिक्र किया उसमें ओड़िशा और पश्चिम बंगाल को शेष पुराने आदेश वाले राज्य हैं जहां से अभी तक ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पाई है। अब ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से आने में भी जल्द लगेगा, इसलिए दिल्ली सरकार इस व्यवहार पर सवाल भी खड़े कर रही है।

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