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कोरोना वायरस

#LadengeCoronaSe: संकट के दौर में बेबसों का सहारा… दूसरों के आंसू पोंछना बन गया मिशन

by Sneha Shukla

ये वो लोग हैं, जिन्हें दूसरों की तकलीफ नहीं देखी गई … दूसरों की तकलीफ में उनका दिल रोता है और ये कहानियां उनकी है जो संकट में एक दूसरे का सहारा बनकर मुश्किल का दौर काटने में मदद कर रहे हैं।

परिजनों को अस्पताल पहुंचाने के लिए दर दर भटकते लोगों की बेबसी देखकर भोपाल के जावेद ने अपने ऑटो को जीवनरक्षक एकरेंस बना लिया तो नागपुर के सरदारजी लॉकडाउन में फंसकर भूख से परेशान लोगों को खाना पहुंचना पड़ रहा है। और हां एक अनिश्चित प्रसंग अहमदाबाद के बुजुर्ग दंपती का, जिन्होंने गंभीर हालात में पहुंचकर भी एक दूसरे को हौसला दिया और स्वस्थ हुए।

भोपाल: गहने बेच औटो को बदल एकरेंस में शुरू की निशुल्क सेवा
मन में अगर किसी की सेवा करने का इच्छा हो तो संसाधन कभी रुकावट नहीं बनते। ऐसी ही कहानी है भोपाल के जावेद खान की। उन्होंने अपने थ्री व्हीलर को एक एकर्न्स में तब्दील कर लोगों को मदद पहुंचाई वे भी नि: शुल्क हैं। खान के औटो में ऑक्सीजन सिलिंडर, पीसीबीई किट, सैनिटाइजर और ऑक्सीमीटर जैसे जरूरी उपकरणों से लैस है।

खान ने बताया कि सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों में एकारेंस की कमी की वजह से लोगों को रोगियों को कंधों और ट्रले में ले जाने वाली हृदय विदारक खबरों को देखकर उनके मन में लोगों की मदद करने का विचार आया। उनकी इस पहल में उन्हें पत्नी का साथ मिला। ऑटो में ऑक्सीजन सिलिंडर लगाने के लिए पत्नी की सोने की चेन 5000 रुपये में बेच दी गई।

उन्होंने बताया कि वे इसके लिए कोई पैसा नहीं लेते हैं। लोगों को निर्बह मदद मिलने से इसके लिए वह चार से पांच घंटे लाइन में खड़े रहकर ऑक्सीजन सिलिंडर भरवाते हैं। जावेद ने सोशल मीडिया में अपना नंबर 7999909494 साझा किया है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों तक पहुंच सके।

नागपुर: सड़कों पर भूखों की मारधाड़ बनी ‘सरदार जी’
कोरोना की दूसरी लहर में फिर से कई जगह लॉकडाउन होने से शहरों में रहने वाले बेगर और गरीब लोगों को खाना नसीब नहीं रहा। ऐसे में कई राज्यों में इन दिनों रोज निवाला पहुंच रहे हैं।

नागपुर में इन दिनों एक ‘सरदार जी’ यह भूखों के अन्नदाता के रूप में प्रसिद्ध हो गए हैं। रोज अपने स्कूटर पर शहरभर में बेगर लोगों को खाना देकर बड़ी खमोशी से अपने घर लौट जाते हैं। एक ओर कई लोग छोटी-छोटी चीजों के दान में दिखावा करते हैं, जबकि सरदार जी बिना प्रचार के लोगों की सेवा में जुटे हैं। जब लोग इनसे फोटो खिंचवाने को कहते हैं तो अनिश्चितता जाहिर कर देते हैं। कहते हैं, मुझे दिखने का कोई शौक नहीं बल्कि भूखों का पेट भरना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है।

हाल ही में एक वेब उपयोगकर्ता ने अपने खाते पर इस मसीहा की कहानी साझा की तो लोग उन्हें सलाम करने लगे। यूजर ने लिखा कि मैं कई दिनों से सरदार जी को सेवा करते हुए देख रहा था। मैंने उन्हें फोटो खिंचवाने की गुजारिशों के पहले संकोच करने लगे फिर राजी हो गए। जब लोगों को उनकी कहानी तक पहुंची तो उन्होंने इस अन्नदाता को निस्वार्थ सच्ची सेवा करने वाला हूर करार दिया।

अहमदाबाद: इक दूजे का बन गया आईसीयू में साथ दी कोरोना को मां
परिवार में किसी को भी कोरोना हो जाए तो घर में फौरन नकारात्मक माहौल हो जाता है। लेकिन गुजरात के गांधीनगर निवासी दिनेश मोदी और उनकी पत्नी सुशीलाबेन मोदी ने आईसीयू में गंभीर स्थिति में पहुंचने के बावजूद एक-दूसरे की हौसलाअफजाई और सकारात्मक रुख रखने कोरोना को हरा दिया। एक मोड़ पर पत्नी के 85 प्रति फेफड़े में हो चुके थे और ऑक्सीजन 60 पर पहुंच गया था।

वहीं, पति के फेफड़े में भी 65 प्रति संक्रमण था पर दोनों ने मनोबल गिरने नहीं दिया। डॉक्टरों के परिश्रम और इन दोनों के मजबूत हौंसले के बल पर यह कोरोना को मात देने में कामयाब रहे। दिनेश बताते हैं कि जब पत्नी गंभीर हुई तो मैंने उनका ढाडस बंधाया और जब मेरी तबीयत बिगड़ी तो पत्नी के साथ दिया।

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