नमस्कार दोस्तो, पंजाबी भाषा का नाम भारत की प्रमुख भाषाओं की सूची के अंतर्गत आता है, इसके अलावा पंजाबी भाषा को पाकिस्तान के अंतर्गत भी काफी लोगों के द्वारा बोला जाता है। दोस्तों क्या आप जानते है कि , पंजाबी भाषा की लिपि कौन सी है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि पंजाबी भाषा की लिपि कौन सी है, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
पंजाबी भाषा की लिपि कौन सी है? | punjabi bhasha ki lipi konsi hai
यदि दोस्तों आप भी यह जानना चाहते हैं, कि पंजाबी भाषा की लिपि कौन सी है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि पंजाबी भाषा की लिपि “गुरुमुखी” है। पूरे भारत के अंतर्गत जितने भी लोगों के द्वारा पंजाबी भाषा बोली जाती है या फिर जितने भी लोगों के द्वारा पंजाबी भाषा को लिखा जाता है, उसे गुरुमुखी लिपि के अंतर्गत ही लिखा जाता है।
इसके अलावा आपको पता होगा कि पाकिस्तान के अंतर्गत भी पंजाबी भाषा को काफी ज्यादा बोला जाता है, पाकिस्तान के एक काफी बड़े इलाके में पंजाबी भाषा को बोला जाता है। लेकिन वहां के पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी ना होकर पाकिस्तान के पंजाबी भाषा की लिपि शाहमुखी है। यानी कि पाकिस्तान के अंतर्गत लिखी जाने वाली पंजाबी भाषा को शाहमुखी लिपि के अंतर्गत लिखा जाता है।
गुरुमुखी का क्या अर्थ होता है? | gurmukhi ka kya arth hota hai
दोस्तों क्या आप जानते हैं कि गुरुमुखी का क्या अर्थ होता है, यदि आपको इसके बारे में नहीं पता तो हम आपको बता दें, कि गुरुमुखी का अर्थ होता है, गुरु के मुख से निकली हुई। यानी कि आसान भाषा में इसका मतलब होता है कि गुरु के मुंह से निकले हुए शब्द या फिर गुरु के मुंह से निकले हुई लिपि। जैसा कि आपको पता होगा कि पंजाबी समाज के अंतर्गत गुरु का काफी बड़ा महत्व है, वहां के लोग गुरु को अपना सब कुछ मानते हैं।
तो इसी कारण गुरुमुखी का नाम गुरु की वाणी या फिर गुरु की भाषा से लिया गया है।
गुरुमुखी में कुल कितने वर्ण होते है?
दोस्तों गुरुमुखी लिपि के अंतर्गत कुल 35 वर्ण होते हैं, जिसके अंतर्गत 3 स्वर तथा 32 व्यंजन होते हैं।
पंजाबी भाषा की प्रमुख विशेषताएं?
दोस्तों पंजाबी भाषा की प्रमुख विशेषता यह है कि इस बार सा के अंतर्गत हमें तीन प्रकार की स्वर प्रणाली देखने को मिलती है जिसके अंतर्गत हमें मध्यम स्वर, उच्च स्वर और निम्न स्वर देखने को मिलते हैं।
1. मध्यम स्वर- मध्यम स्वर दो प्रकार के होते हैं
- शुद्ध मध्यम- शुद्ध माध्यम में वे स्वर आते हैं जो पूर्ण रूप से शुद्ध होते हैं।
- तीव्र मध्यम- जब कोई स्वर बहुत ही ज्यादा मात्रा में शुद्ध होता है या उससे भी ऊंचा स्थान ग्रहण करता है उसे तीव्र मध्यम स्वर कहते हैं।
2. उच्च स्वर- उच्च स्वर वह होते हैं जिन का उच्चारण ऊंची आवाज में किया जाता है।
3. निम्न स्वर- निम्न स्वर देवनागरी लिपि की तरह होते हैं। इसके अक्षर आप आसानी से समझ सकते हैं और उनका उच्चारण भी आसानी से कर सकते हैं।
पंजाबी भाषा के प्रमुख साहित्यकार?
पंजाबी भाषा की प्रमुख साहित्यकारों का नाम निम्न है:-
- मोहन सिंह
- नानक सिंह
- भाई वीर सिंह
- सुल्तान बाहू
- गुरदयाल सिंह
- धनीराम चात्रिक
- जाका शाह
- नवतेज घुमान
- शिव कुमार बटालवी आदि।
दोस्तो इन कुछ साहित्यकारों के द्वारा पंजाबी भाषा के अंतर्गत काफी साहित्य लिखा गया है, तथा आज पंजाबी भाषा का नाम पूरी दुनिया भर के अंतर्गत काफी बड़ा है, तो इसके पीछे इन साहित्यकारों का एक अहम योगदान है, जिन्होंने पंजाबी भाषा का इतना प्रचार किया है।
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि पंजाबी भाषा की लिपि कौन सी है, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत पंजाबी भाषा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि पंजाबी भाषा के प्रमुख साहित्यकार कौन है, पंजाबी भाषा की प्रमुख विशेषताएं कौन सी है, पंजाबी भाषा को कहां-कहां पर बोला जाता है।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
FAQ
लिपि का नाम इसके निर्माता, गुरु अंगद (1504-92), दूसरे सिख गुरु के नाम पर रखा गया है। लहंडा एकमात्र ऐसा पत्र था जिसे गुरु अंगद की सलाह के दौरान पंजाब में लिखा गया था।
समर्पण, नम्रता और शिक्षा जीवन को कैसे समृद्ध बनाती है यह दूसरे गुरु अंगद देव जी की जीवन गाथा से सीखा जा सकता है। उन्होंने गुरुमुखी लिपि की रचना की।
पंजाबी एक भाषा है, और गुरुमुखी एक लिपि है जिसका उपयोग पंजाबी भाषा को लिखने के लिए किया जाता है। पंजाबी इंडो-आर्यन भाषाओं के समूह से संबंधित भाषा है। यह पाकिस्तान और भारत दोनों में पंजाब राज्य में प्रमुखता से बोली जाने वाली भाषा है।