<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: साहित्य जगत के साथ ही देश की आजादी के आंदोलन में अपनी अमित छाप छोड़ने वाले रबींद्रनाथ टैगोर का आज 160 वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। रबिंद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता के एक संपन्न परिवार में हुआ था। रबिंद्रनाथ जी को वर्ष 1913 में उनकी कृति गीतांजली के लिए साहित्य श्रेणी के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। वह भारत के साथ ही एशिया महाद्वीप में नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं।
रबिंद्रनाथ ने एक लेखक के साथ ही संग, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार और कवि के तौर पर इतिहास में युगपुरुष के रूप में अपनी पहचान बनाई। रबिंद्रनाथ टैगोर को जन्म 7 मई 1861 में कलकत्ता में हुआ था। रबिंद्र जी ने ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गन-मन’ की रचना की। इसके साथ ही उनका गीत ‘आमार सोनारंगो’ बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत भी है। महात्मा गांधी ने रबिंद्र जी को ‘गुरूदेव’ की उपाधि दी थी। उनकी मृत्यु 7 अगस्त 1941 को हुई थी।
रविन्द्रनाथ टैगोर के इंटक कथन
-किसी बच्चे के ज्ञान को अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिए क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
-मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुज़ाना है।
-कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी और स्वामी भी।
-केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नहीं कर सकते। हो।
-प्यार अधिकार का दावा नहीं करता है बल्कि यह आजादी देता है।
-हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं।
-यदि आप सभी कठिनाइयों के लिए। दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जाएगा।
-जब हम विनम्र होते हैं, तब हम महानता के करीब हैं।
-फुल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते। < br /> – मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है।
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