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rola chhand ka saral udaharan

रोला छंद क्या होता है? परिभाषा उदाहरण सहित

रोला छंद की परिभाषा उदाहरण सहित | rola chhand kise kahate hain

by Sonal Shukla

नमस्कार दोस्तो, यदि आप हिंदी विषय के अंतर्गत रुचि रखते हैं या फिर आप काव्य के अंतर्गत रूचि रखते हैं तो आपने रोला छंद के बारे में तो जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि रोला छंद क्या होता है, यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

हम आपको इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको बताने वाले हैं कि रोला छंद क्या होता है, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।

रोला छंद क्या होता है? (rola ki paribhasha udaharan sahit)

हिंदी साहित्य तथा हिंदी व्याकरण के अंतर्गत एक काफी महत्वपूर्ण टॉपिक होता है, छंद को कई अलग-अलग भागों के अंतर्गत बांटा गया है, और विभागों की सूची के अंतर्गत रोला छंद का नाम भी आता है।

रोला छंद एक ऐसा छंद होता है जिसके अंतर्गत कुल 24 मात्राएं होती है, इसमें प्रत्येक छंद के सम चरणों में प्रत्येक चरण में 13 मात्राएं होती है, और विषम चरणों के अंतर्गत कुल 11 मात्राएं होती हैं। इसके अलावा रोला छंद के अंतर्गत हमें 11वीं और 13 वी मात्रा के बाद विराम देखने को मिलता है।

रोला छंद के उदाहरण (rola ka udaharan bataiye)

rola kise kahate hain
रोला छंद का उदाहरण मात्रा सहित | rola chand example in hindi

रोला छंद के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्न प्रकार से हैं:-

1

  • सब होवें संपन्न, सुमन से हँसें-हँसाये।
  • दुखमय आहें छोड़, मुदित रह रस बरसायें॥
  • भारत बने महान, युगों तक सब यश गायें।
  • अनुशासन में बँधे रहें, कर्त्तव्य निभायें॥

2

  • रोला को लें जान, छंद यह- छंद-प्रभाकर।
  • करिए हँसकर गान, छंद दोहा- गुण-आगर॥
  • करें आरती काव्य-देवता की- हिल-मिलकर।
  • माँ सरस्वती हँसें, सीखिए छंद हुलसकर॥

3

  • नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
  • सूर्य-चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है।।
  • नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारा-मंडल है।
  • बंदीजन खगवृन्द, शेष-फन सिंहासन है।।

4

  • नन्दन वन था जहाँ, वहाँ मरूभूमि बनी है।
  • जहाँ सघन थे वृक्ष, वहाँ दावाग्नि घनी है।।
  • जहाँ मधुर मालती, सुरभि रहती थी फैली।
  • फूट रही है आज, वहाँ पर फूट विषैली।।

5

  • सब होवें संपन्न, सुमन से हँसें-हँसाये।
  • दुखमय आहें छोड़, मुदित रह रस बरसायें॥
  • भारत बने महान, युगों तक सब यश गायें।
  • अनुशासन में बँधे रहें, कर्त्तव्य निभायें॥

निष्कर्ष

तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया, कि रोला छंद की परिभाषा क्या होती है (rola chhand ki paribhasha udaharan sahit), और इसके उदाहरण क्या क्या है, इसके अलावा इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी अभी हमने आपके साथ शेयर की है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।

रोला छन्द में कुल कितने चरण होते हैं?

रोला के 4 पदों और 8 चरणों में 11-13 पर यति होती है।


रोला के लक्षण क्या होते हैं?

इस श्लोक के प्रत्येक चरण में 11,13 मात्राओं के क्रम में एक यति है। इसमें कुल 24 मात्राएँ होती हैं। इसमें तुक आमतौर पर दो चरणों में पाया जाता है। प्रायः इसके अंत में दो गुरु (ऽऽ) रखे जाते हैं, पर ऐसा होना अनिवार्य नहीं है।

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