<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> अगरतला: त्रिपुरा हाई कोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने बुधवार को पूर्व जिलाधिकारी शैलेश कुमार यादव का तबादला पश्चिमी त्रिपुरा जिले से बाहर कर दिया। यादव उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने को -19 नियमों को लागू करवाने के तहत एक शादी को जबरन हलवा दिया था।
यादव पर कथित रूप से अगरतला में हो रही शादी समरोह के बारातियों, दूल्हे और पंडित से दुर्व्यवहार करने का आरोप है। मामले में विभागीय जांच होने के दौरान यादव के ही पूछने पर उन्हें उनके पद से मुक्त कर दिया गया था।
कोर्ट ने पूछा है कि .. क्या कार्रवाई हुई
उस घटना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ए कुरेशी और न्यायमूर्ति पटेल चटोपाध्याय की पीठ ने एडवोकेट जनरल सिद्धार्थ शंकर डे से पूछा कि राज्य सरकार ने अबतक उनके (यादव) के खिलाफ क्या कार्रवाई की है?
डे ने बताया कि यादव को पश्चिमी त्रिपुरा के जिलाधिकारी पद से हटा दिया गया है और इस समय वह 12 दिन की छुट्टी पर हैं। इस पर अदालत ने पूछा कि 26 अप्रैल की रात की घटना जहां हुई थी, उनमें पश्चिमी त्रिपुरा में रहने की अनुमति कैसे दी गई। पीठ ने एडवोकेट जनरल को आधे घंटे में बताने को कहा कि मेमव को जिले से बाहर कहां तबादला किया जा रहा है।
दक्षिण त्रिपुरा किया गया तबादला
एडवोकेट जनरल ने इसके बाद प्रशासन से जवाब मांगा और मुख्य सचिव मनोज कुमार से जानकारी मिलने के बाद अदालत को बताया कि यादव को दक्षिण त्रिपुरा जिले के मुख्यालय बेलोनिया स्थानांतरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेलोनिया में उन्हें अभी पद आवंटित करना बाकी है और यह अगरतला (जहां घटना हुई थी) से 110 किलोमीटर दूर है।
आपको बता दें कि, 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने घटना की जांच के लिए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की जांच समिति का गठन किया था।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने मेमव के खिलाफ पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए आवासीय जिला जज सुभाष सिकदर को समिति के तीसरे सदस्य के तौर पर नामित किया गया था।
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