हम सभी लोग यह तो जानते हैं, कि वास्कोडिगामा ने ही भारत के बारे में पता लगाया था। लेकिन कुछ लोग यह जानना चाहते हैं, कि आखिर vaskodigama bharat kab aaya और उसे भारत आने में कितना समय लगा था ?
अक्सर इस तरह के प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं, जैसे vaskodigama bharat kab aaya, वास्कोडिगामा दूसरी बार भारत में कब आया, इत्यादि।
आज इसी प्रश्न का उत्तर विस्तार पूर्वक प्राप्त करेंगे और विस्तार पूर्वक वास्कोडिगामा के भारत आने से संबंधित जानकारियों को समझेंगे। तो चलिए लेख को शुरू करते हैं।
इसको डी गामा भारत कब आया ? – vaskodigama bharat kab aaya
वास्कोडिगामा 20 मई 1498 को भारत आया था। वास्कोडिगामा भारत की खोज में 8 जुलाई 1497 को निकला था और 1 साल बाद 1498 में यह सबसे पहले भारत के केरल राज्य में पहुंचा था।
वास्कोडिगामा एक पुर्तगाल था और जब यह पहली बार भारत में कदम रखा था तो उसी के बाद ही कई पुर्तगाली धीरे-धीरे भारत में आने लगे थे। पुर्तगालियों ने मुख्य रूप से गोवा में अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
वास्कोडिगामा ने भारत की खोज किया ऐतिहासिक यात्रा यूरोप से समुद्री मार्ग द्वारा पूरी की थी। और इसी के माध्यम से समुद्री व्यापार का भी चलन स्थापित हुआ था।
वास्कोडिगामा कौन था ?
वास्कोडिगामा एक पुर्तगाली खोजकर्ता था, जिसका जन्म सन 1460 के दशक में पुर्तगाल के साइन शहर में हुआ था। वास्कोडिगामा के पिता खुद भी एक नाविक थे क्योंकि इनका शहर बंदरगाहों पर स्थित था।
वास्कोडिगामा ने भी अपना कैरियर एक नाविक के रूप में ही शुरू किया था और 1492 में उन्हें पुर्तगाली बेड़े का कप्तान नियुक्त किया गया था। आपको डिगामा कप्तान के रूप में अफ्रीका के पश्चिम तट का पता लगाने के लिए गए थे।
1497 में पुर्तगाल के राजा मैनुअल प्रथम ने द गामा को एक नए व्यापार मार्ग की तलाश में भारत में 1 बड़े का नेतृत्व करने का काम सौंपा था जिसे वास्कोडिगामा ने अच्छे से निभाया और 1498 में भारत की खोज की और नए व्यापार मार्ग की तलाश भी की।
वास्कोडिगामा भारत कितनी बार आया था ?
वास्कोडिगामा ने भारत तीन बार भ्रमण किया है। हालांकि वास्कोडिगामा और भी बार भारत आ सकते थे लेकिन जब तीसरी बार भारत में आए तो उनकी मृत्यु हो गई थी और आज उनका कब्र केरल राज्य के पास ही कोच्चि में बना हुआ है।
वास्कोडिगामा के तीन बार की भारत यात्रा अलग-अलग रही है तो आइए हम इन तीनों ही यात्राओं को विस्तार से समझते हैं।
- वास्कोडिगामा कि भारत में पहली यात्रा
जैसा कि हम सभी जानते हैं वास्कोडिगामा भारत 1498 में आया था और यही वास्कोडिगामा की भारत में पहली यात्रा थी। वास्कोडिगामा वह पहला व्यक्ति था जिसने समुद्र के रास्ते भारत भ्रमण किया और पहली बार अपना कदम भारत में रखा।
9 महीने वास्कोडिगामा ने काफी कठिनाई से समुद्र द्वारा यात्रा करके भारत की खोज की और साथ ही इस यात्रा को व्यापारिक यात्रा भी बना दिया। सबसे पहले वास्कोडिगामा 1498 में केरल राज्य के कालीकट नामक तट पर पहुंचा था जो कि आज एक जिला बन चुका है।
दा गामा का जहाज 8-7-19 1497 को लिस्बन से रवाना हुआ। इसमें चार जहाज शामिल थे इस साल ग्रह वेलसाओ राफेल बेरियो और सेंटियागो।
यात्रा लंबी और कठिन थी साथ ही तूफान से जहाज क्षतिग्रस्त हो गए और चालक दल के कई सदस्य बीमारी के कारण मर भी गए। हालांकि दा गामा और उनका दल ड्रिड रहा और अंततः वे 20 मई 1498 को भारत पहुंच गए।
दा गामा मालाबार तट पर एक बंदरगाह शहर कालीकट में उतरे उन्होंने स्थानीय शासन कालीकट के जमोरिन से मुलाकात की और व्यापार संबंध स्थापित करने का प्रयास किया। हालांकि जमोरिन को पुर्तगालियों पर संदेह था और उसने उन्हें व्यापार करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- वास्कोडिगामा की भारत में दूसरी यात्रा
वास्को द गामा ने 3 महीने बाद कालीकट छोड़ दिया और वह सितंबर 1498 में पुर्तगाल लौट गए। वह अपने साथ मसालों का एक माल भी लेकर गए थे जो यूरोप में अत्यधिक बेशकीमती थे। उन्हें की यात्रा एक बड़ी सफलता थी और इसने भारत में भविष्य में पुर्तगाली अभियानों के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया था।
वापस जाकर वास्कोडिगामा ने राजा मैनुअल को सभी बातें बताई थी और राजा मैनुअल ने फिर से वास्कोडिगामा को दूसरी बार भारत यात्रा करने को कहा था।
इस तरह वास्कोडिगामा की भारत की दूसरी यात्रा 1502 से 1503 में हुई। उन्हें पुर्तगाल के राजा मैनुअल प्रथम द्वारा भारत में अस्थाई पुर्तगाली उपस्थिति स्थापित करने और पुर्तगाली व्यापार हितों की रक्षा करने के लिए भेजा गया था।
दूसरी बार द गामा 12 फरवरी 1502 को लिस्बन से रवाना हुए जिसमें 10 जहाजों को शामिल किया गया था। इस बार जहाजों में एक बड़ी संख्या में सैनिक और 2 पर भी रखी गई थी। दूसरी बार द गामा 20 मई 1502 को भारत पहुंचे जहां उन्हें स्थानीय शासक जमोरिन से शत्रुता का सामना करना पड़ा।
इसके बाद वास्कोडिगामा बंदरगाह शहर कोचीन गए और वहां के स्थानीय शासक से मुलाकात की। दोनों ही लोग व्यापार समझौते पर सहमत हो गए। फिर 1503 में वास्को डी गामा पुर्तगाल लौट गए थे जहां उनका स्वागत एक नायक के रूप में किया गया था और उन्हें भारतीय समुद्र के एडमिरल की उपाधि भी दी गई थी।
- वास्कोडिगामा की भारत की तीसरी यात्रा
दूसरी बार यात्रा कर लेने के बाद वास्कोडिगामा अपनी तीसरी और अंतिम यात्रा पर निकले जो कि 1524 में हुई थी। उन्हें पुर्तगाल के राजा जॉन थर्ड द्वारा पुर्तगाली भारत के वायसराय के रूप में कार्यभार संभालने के लिए भेजा गया था।
अप्रैल 15 से 24 को वास्कोडिगामा का जहाज लिस्बन से रवाना हुआ था जिसमें कुल 13 जहाजों को शामिल किया गया था। फिर 29 सितंबर 1524 को द गामा भारत पहुंचे और उन्होंने वायसराय का पद संभाला। उन्होंने अरब जहाजों पर हमला किया किलो का निर्माण किया और स्थानीय शासकों के साथ बातचीत भी की।
हालांकि वायसराय के रूप में दो गामा का समय बहुत ही अल्पकालिक था वह बीमार पड़ गए और मलेरिया के कारण 24 दिसंबर 1524 को कोचिंग में ही उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कोचीन के सेंट फ्रांसिस चर्च में दफना दिया गया था।
तो कुछ इस प्रकार वास्कोडिगामा की पूरी भारत यात्रा रही और वास्कोडिगामा ने अपने भारत यात्रा में कई सारी चीजें भी की थी।
FAQ’s :-
Q1. वास्कोडिगामा को भारत आने में कितना समय लगा था ?
Ans- वास्कोडिगामा को भारत आने में कुल 9 महीने का समय लगा था।
Q2. वास्कोडिगामा भारत में पहली बार कब आया था ?
Ans- वास्कोडिगामा भारत में पहली बार 1498 में आया था।
Q3. वास्कोडिगामा भारत दूसरी बार कब आया था ?
Ans- वास्कोडिगामा दूसरी बार भारत सन 1503 में आया था।
Q4. वास्कोडिगामा का भारत आने का उद्देश्य क्या था ?
Ans- वास्कोडिगामा का भारत आने का उद्देश्य मुख्य रूप से एक व्यापारिक मार्ग की खोज करना था और पुर्तगाल से दूसरे देशों में व्यापार को बढ़ावा देना था।
निष्कर्ष :-
आज के इस लेख में हमने जाना की vaskodigama bharat kab aaya ? उम्मीद है, की इस लेख के माध्यम से आपको वास्कोडिगमा के भारत यात्रा से संबन्धित सभी जानकारियाँ मिल पायी होंगी।
यदि आप वास्कोडिगमा या इनके भारत यात्रा से संबन्धित कोई अन्य जानकारी पाना चाहते है तो कृपया हमे कमेंट करके जरूर बताएं।
जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। यदि आपके मन में इस लेख से संबंधित कोई सवाल है जो आप हमसे पूछना चाहते हैं, तो कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं।
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