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Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai?

योग का पितामह किसे माना जाता है?

Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai

by Sonal Shukla

दोस्तों, योग एक ऐसा कार्य है जिसे करने से शरीर स्वस्थ रहता है, आत्मा प्रसन्न रहती है। यह प्राकृतिक रूप से किया जाने वाला एक ऐसा व्यायाम रुपी ध्यान है जो चमत्कारी तरीके से शरीर के सभी व्याधियों को दूर कर देता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai? अर्थात वह कौन है जिसे योग का जनक माना गया है? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं क्यूंकि आज के लेख में हम आपको इसी के बारे में सारी जानकारी प्रदान करेंगे।

आज हम आपको बताएंगे कि योग के प्रवर्तक आचार्य किसे माना जाता है? योग क्या होता है? योग की शुरुआत कब हुई? योग का इतिहास क्या है? इन सब के बारे में आज हम आपको सारी जानकारी देंगे तो। चलिए शुरू करते हैं:-

योग क्या है? | What is Yoga in Hindi?

yog ka pitamah kise kahate hain

yog ka pitamah kise kahate hain

दोस्तों, योग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों को एक साथ मिलाकर, उनका इस्तेमाल  अपने जीवन को एक लक्ष्य देने की ओर कर सकता है।

योग एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्राचीन भारत में आविष्कृत की गई थी।  योग की शुरुआत हिंदू धर्म से हुई थी, और आज के समय बौद्ध धर्म, जैन धर्म, इसके अलावा संपूर्ण विश्व में लगभग सभी स्थानों पर योग की प्रक्रियाओं का पालन  किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि योग की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी, और इसके संदर्भ में  वैदिक पाठ्य संग्रह भी संरक्षित है। इसके कुछ अंश बौद्ध  धर्म में भी मिलते हैं। योग का उल्लेख सबसे पहले इसके मूल रूप के अंतर्गत में किया गया है।

इसके अलावा कई उपनिषदों में भी  योग शब्द का उल्लेख किया गया है। हालांकि भगवान शिव को योगेश्वर कहा गया है, और ऐसा माना जाता है कि योग की उत्पत्ति भगवान शिव से ही हुई है।

भगवान शिव को महान तपस्वी और  महादेव के तौर पर जाना जाता है। योग की सभी मुद्राएं और योग करने के लगभग सभी तरीके भगवान शिव ने ही शुरू किए हैं, ऐसा माना जाता है।

योग की शुरुआत किस समय से हुई थी, उसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि  हिंदू पौराणिक ग्रंथों में 5000 साल पहले से योग के बारे में लिखा गया था, और योग शब्द की उत्पत्ति तो इससे भी कई हजारों वर्ष पूर्व हुई थी।

योग के अंतर्गत शारीरिक मुद्राएं, सांस लेने की तकनीक, और ध्यान तथा विश्राम करने की तकनीक को माध्यम माना जाता है। जीवन कैसे जिया जाता है यह योग के द्वारा सिखाया जाता है।

योग कैसे करते हैं? | yoga kaise karte hain

यदि आप योग करना चाहते हैं तो इससे पहले आपको योग करना सीखना होगा, और योग सीखने का सबसे बेहतरीन तरीका प्रयास है, आपको लगातार सही या गलत तरीके से प्रयास करते रहना है। जो भी तरीके आपको योग के लिए बताए जाएं, आपको सभी का पालन करते हुए योग करते रहना है।

एक निश्चित समय अवधि के पश्चात आप योग करना सीख जाएंगे। योग करने के लिए ऐसा माना जाता है कि आपको सबसे पहले ध्यान करना है, इसके पश्चात अपने शरीर को एकदम स्वतंत्र छोड़कर अर्थात बिना कोई अतिरिक्त बल लगाएं।

अपने इंद्रियों की ओर ध्यान केंद्रित करना है। इसके पश्चात आपको प्रतिदिन ध्यान करने का अर्थात एक ही स्थान पर बैठकर आंखें बंद करके ध्यान करने की कोशिश करनी है।

यह आपको  कंसंट्रेशन करने में मदद करती है। योग करने की अलग-अलग विधियां तथा  शैलियां होती है। आप सभी का प्रयास करना चाहिए। आज के समय इंटरनेट पर योग सिखाने के लिए काफी कंटेंट उपलब्ध है, आप उसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

योग का पितामह किसे माना जाता है? | Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai?

yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai

योग के प्रवर्तक आचार्य का अर्थ यह होता है, कि वह व्यक्ति या वह महात्मा जिसने  योग की शुरुआत की और योग के प्रवर्तन का कार्य शुरू किया।  तो यदि हम शुरुआत से शुरू करें तो भगवान शिव को योग का प्रवर्तक माना जाता है। क्योंकि योग की शुरुआत उन्हीं से हुई है।

इसीलिए उन्हें योगेश्वर कहा जाता है। लेकिन आधुनिक युग में तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को  योग के प्रवर्तक आचार्य के रूप में माना जाता है। इनका जन्म 1888 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1989 में हुई थी। इन्होंने 102 वर्ष की आयु प्राप्त की थी। इन्होने  कई योग गुरुओं को शिक्षा प्रदान की है, तथा  विन्यास योग की शुरुआत भी इन्होंने ही की थी।

योग दर्शन का आविष्कार किसने किया

योग दर्शन का आविष्कार महर्षि पतंजलि ने किया था।  पतंजलि ने योग को कई भागों में बांटा है जैसे कि  अष्टांग योग, बिक्रम योग, हठ योग, अयंगर योग, भक्ति योग, कृपालु योग, कुंडलिनी योग, पावर योग, शिवानंद योग, विनियोग, आराम योग ,जन्म पूर्व योग,  यिन योग यह सभी योग के प्रकार हैं।

योग करने के फायदे क्या है?

योग करने के क्या फायदे होते हैं, जैसे कि

  • यह आपके शरीर को लचीला बनाता है।
  • आपकी मांसपेशियों को ताकतवर बनाता है।
  • इसके उपयोग से आप का पाचन तंत्र मजबूत बनता है,
  • इसी के साथ यह आपके जोड़ों को टूटने से बचाता है।
  • आप के रीढ़ की हड्डी मजबूत करता है।
  • आपकी हड्डियों को वस्त्र करता है।
  • आपके शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो आपको चलाएं मान रखने में मदद करती है।
  • इसके अलावा आपके ब्लड शुगर को कम करती है।
  • यह आपको खुश रखती है।
  • आपको नई जीवनशैली प्रदान करती है।
  • ब्लड प्रेशर कम करती है।
  • व्यक्ति को नियमित आपके शरीर को शांति देती है।
  • आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है।
  • तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाए रखें तनाव दूर करती है।
  • गहरी नींद लेने में मदद करती है।
  • आपकी शारीरिक दर्द को दूर करती है।
  • आंतरिक शक्ति को बढ़ाती है।

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निष्कर्ष

दोस्तों, आज के लेख में हमने आपको बताया कि Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai इसके अलावा हमने आपको योग के बारे में और भी कई प्रकार की विशेष जानकारी उपलब्ध कराई है।

हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख पढ़ने के पश्चात आप यह समझ गए होंगे कि Yog ke pravartak aacharya kise mana gaya hai. जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और अगर आप के मन में कोई सवाल है जो आप हमसे पूछना चाहते हैं तो कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं।

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