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चाबहार बंदरगाह: मई में हो सकता है शुरू, पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान से कारोबार कर सकेगा भारत

by Sneha Shukla

एजेंसी, वाशिंगटन।

द्वारा प्रकाशित: जीत कुमार
अपडेटेड सत, 10 अप्रैल 2021 03:53 AM IST

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भारत ने थोड़े पड़व के बाद इस साल की शुरुआत से ईरान में पंजाब बंदरगाह का काम तेज कर दिया है और मई में रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस बंदरगाह का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

अमेरिकी संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। अमेरिकी सांसदों के लिए अपनी नई रिपोर्ट में कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने कहा, 2015 में भारत ने ईरान में भारतहर बंदरगाह और रेलवे लाइन बिछाने के काम में मदद करने की सहमति दी थी। इससे भरत को पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान से बेरोकटोक व्यापार करने में मदद मिलेगी।

लगभग 100 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ईरान का दौरा किया था और बंदरगाह व संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर के निवेश करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

हालाँकि ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर अपने कड़े प्रतिबंधों से भारत की ‘अफगानिस्तान अफगानिस्तान’ परियोजना को छूट दे रखी थी, लेकिन 2020 के अंत में भारत ने परियोजना का काम रोक दिया था। 2021 की शुरुआत में काम में तेजी लाई गई और मई 2021 तक इसके संचालन शुरू होने की संभावना है। इस रिपोर्ट को विशेषज्ञों ने तैयार किया है और इसे यूएस कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया में उसके सम्मिलित पड़ोसी देशों पर निर्भर है। ईरान पर प्रतिबंध लगने के बाद 2011 से 2016 के दौरान भारत ने ईरान से तेल बरामद किया था। 2016 में प्रतिबंधों में राहत मिलने के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात बढ़ाया था।

जुलाई 2018 में भारत ने ईरान से 8 लाख टन प्रतिदिन तेल आयात किया था, जो 2011 के स्तर से कहीं ज्यादा था। हालांकि फिर से प्रतिबंध लगने के बाद भारत ने मई 2019 से ईरान से तेल आयात नहीं किया है।

विस्तार

भारत ने थोड़े पड़व के बाद इस साल की शुरुआत से ईरान में पंजाब बंदरगाह का काम तेज कर दिया है और मई में रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस बंदरगाह का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

अमेरिकी संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। अमेरिकी सांसदों के लिए अपनी नई रिपोर्ट में कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने कहा, 2015 में भारत में ईरान में भारतहर बंदरगाह और रेलवे लाइन बिछाने के काम में मदद करने की सहमति दी थी। इससे भारत को पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान से बेरोकटोक व्यापार करने में मदद मिलेगी।

लगभग 100 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ईरान का दौरा किया था और बंदरगाह व संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर के निवेश करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

हालाँकि ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर अपने कड़े प्रतिबंधों से भारत की ‘अफगानिस्तान की’ परियोजना को छूट दे रखी थी, लेकिन 2020 के अंत में भारत ने परियोजना का काम रोक दिया था। 2021 की शुरुआत में काम में तेजी लाई गई और मई 2021 तक इसके संचालन शुरू होने की संभावना है। इस रिपोर्ट को विशेषज्ञों ने तैयार किया है और इसे यूएस कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया में उसके सम्मिलित पड़ोसी देशों पर निर्भर है। ईरान पर प्रतिबंध लगने के बाद 2011 से 2016 के दौरान भारत ने ईरान से तेल बरामद किया था। 2016 में प्रतिबंधों में राहत मिलने के बाद भारत ने ईरान से तेल आयात बढ़ाया था।

जुलाई 2018 में भारत ने ईरान से 8 लाख टन प्रतिदिन तेल आयात किया था, जो 2011 के स्तर से कहीं ज्यादा था। हालांकि फिर से प्रतिबंध लगने के बाद भारत ने मई 2019 से ईरान से तेल आयात नहीं किया है।

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