दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को यह साफ कर दिया कि उसने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए अशोक होटल परिसर को प्राथमिकता के आधार पर को विभाजित -19 सुविधा में बदलने का कोई अनुरोध नहीं किया।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को बताया कि यह गलत धारणा पैदा करता है कि इसके लिए न्यायालय द्वारा अनुरोध किया गया था। अदालत ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह अशोक होटल में बेड्स की आवश्यकता के संबंध में सुधारात्मक उपाय करे।
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हाईकोर्ट ने कहा कि आपको लगता है कि जब लोगों को बिस्तर नहीं मिल रहा है, तो हम फाइव स्टार होटल में 100 बेड की मांग करेंगे।
बता दें कि, दिल्ली सरकार ने सोमवार को एक आदेश जारी कर अशोक होटल के 100 कमरों को को विभाजित -19 कैर सेंटर्स में बदलने के लिए कहा था। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के एक अनुरोध पर काम कर रही थी। चाणक्यपुरी के एसडीएम द्वारा रविवार को जारी किए गए इस आदेश में कहा गया है कि अशोक होटल में यह सुविधा प्राइमस अस्पताल के सहयोग से होगी।
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