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फ्रांस के 15 लोग 40 दिन बाद गुफा से बाहर निकले

डीप टाइम प्रयोग: फ्रांस के 15 लोग पूरी दुनिया से अलग एक गुफा में बिताए 40 दिन

by Sneha Shukla

न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस, लोम्ब्रिव्सवे (परिषद)।

द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
Updated Sun, 25 Apr 2021 12:29 AM IST

फ्रांस के 15 लोग 40 दिन बाद से बाहर निकले
– फोटो: यूट्यूब स्क्रीन ग्रैब

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फ्रांस के 15 लोग पूरी दुनिया से अलग कुछ हफ्तों के लिए एक गुफा में रहने के बाद 22 अप्रैल को बाहर निकले हैं। इस दौरान ‘डीप टाइम प्रयोग’ के तहत आठ पुरुष व सात महिलाओं ने एक अंधेरी, नम और विशाल गुफा में पूरी दुनिया से कटकर दिन बिताया। यह उन्हें समझने में मदद करेगा कि कैसे लोग रहने योग्य परिस्थिति और वातावरण में भारी बदलाव के साथ खुद को अनुकूल बना पाते हैं।

फ्रांस की लोम्ब्रिव्स गुफा में न तो कोई घड़ी थी और न ही इन लोगों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क रहा। यहाँ तक कि 10 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान और 100 प्रति सापेक्ष मात्रा के बीच इन लोगों को महामारी पर भी कोई अपडेट नहीं दिया गया। उनकी जमीन के ऊपर दोस्तों या परिवार से भी कोई संवाद नहीं था क्योंकि वे मोबाइल फोन से दूर थे।

40 दिन और 40 रात घुप्प अंधेरे में गुजारने के बाद इन गुफाओं के दिन की रोशनी में बाहर आने के दौरान आँखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे भी पहनना होगा। फ्रांस और पेंटिंग की साझेदारी में गुफा के भीतर रहने के दौरान इन भागीदारों पर वैज्ञानिकों ने नींद के पैटर्न, सामाजिक बातचीत और खा के माध्यम से उनके बर्ताव और कंप्यूटर की निगरानी की।

घंटे में नहीं, नींद के चक्रों में गिने दिन
टीम के सदस्यों ने गुफा के भीतर जैविक आहार का पालन किया ताकि पता चल सके कि कब जागना है, कब सोना है और कब भोजन करना है। वह अपने दिन को घंटों में नहीं बल्कि नींद के चक्रों में गिने। जब वे वे से बाहर निकले तो उन्हें पता ही नहीं था कि निर्धारित अवधि पूरी हो चुकी है। उन्हें लग रहा था कि अभी तक कम से कम एक सप्ताह और रहना है।

इंसान बिना समय के हुए और गैजेट्स के असर में पड़ गया
शोध इस पर किया गया कि लंबे समय तक बिना गैजेट्स और बिना समय जाने निश्चित तापमान में रहने का इंसान पर क्या असर पड़ता है। वैज्ञानिक क्रिश्चियन क्लॉट का दावा है कि डीप टाइम प्रयोग से जो चीजें निकलकर आएगी, वो भविष्य में अंतरिक्ष मिशन, पनडुब्बी क्रूर सदस्य और खनन आदि में लंबे समय तक काम आएंगे।

श्रेणियों ने कोई राशि नहीं ली है
27 से 50 साल की उम्र के बीच के 15 लोगों में जीवविज्ञानी, ज्वेलर और गणित पढ़ाने वाले टीचर शामिल रहे। इन लोगों को इसके लिए कोई राशि भी नहीं दी गई है, लेकिन सभी वालंटियर के तौर पर इसमें शामिल हैं। प्रयोग में लगभग दस लाख यूरो (8.67 करोड़ रुपये) का खर्च आया।

विस्तार

फ्रांस के 15 लोग पूरी दुनिया से अलग कुछ हफ्तों के लिए एक गुफा में रहने के बाद 22 अप्रैल को बाहर निकले हैं। इस दौरान ‘डीप टाइम प्रयोग’ के तहत आठ पुरुष व सात महिलाओं ने एक अंधेरी, नम और विशाल गुफा में पूरी दुनिया से कटकर दिन बिताया। यह उन्हें समझने में मदद करेगा कि कैसे लोग रहने योग्य परिस्थिति और वातावरण में भारी बदलाव के साथ खुद को अनुकूल बना पाते हैं।

फ्रांस की लोम्ब्रिव्स गुफा में न तो कोई घड़ी थी न धूप और न ही इन लोगों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क रहा। यहां तक ​​कि 10 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान और 100 प्रति सापेक्ष मात्रा के बीच इन लोगों को महामारी पर भी कोई अपडेट नहीं दिया गया। उनकी जमीन के ऊपर दोस्तों या परिवार से भी कोई संवाद नहीं था क्योंकि वे मोबाइल फोन से दूर थे।

40 दिन और 40 रात घुप्प अंधेरे में गुजारने के बाद इन गुफाओं के दिन की रोशनी में बाहर आने के दौरान आँखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे भी पहनना होगा। फ्रांस और पेंटिंग की साझेदारी में गुफा के भीतर रहने के दौरान इन भागीदारों पर वैज्ञानिकों ने नींद के पैटर्न, सामाजिक बातचीत और खा के माध्यम से उनके बर्ताव और कंप्यूटर की निगरानी की।

घंटे में नहीं, नींद के चक्रों में गिने दिन

टीम के सदस्यों ने गुफा के भीतर जैविक आहार का पालन किया ताकि पता चल सके कि कब जागना है, कब सोना है और कब भोजन करना है। वह अपने दिन को घंटों में नहीं बल्कि नींद के चक्रों में गिने। जब वे वे से बाहर निकले तो उन्हें पता ही नहीं था कि निर्धारित अवधि पूरी हो चुकी है। उन्हें लग रहा था कि अभी तक कम से कम एक सप्ताह और रहना है।

इंसान बिना समय के हुए और गैजेट्स के असर में पड़ गया

शोध इस पर किया गया कि लंबे समय तक बिना गैजेट्स और बिना समय जाने निश्चित तापमान में रहने का इंसान पर क्या असर पड़ता है। वैज्ञानिक क्रिश्चियन क्लॉट का दावा है कि डीप टाइम प्रयोग से जो चीजें निकलकर आएगी, वो भविष्य में अंतरिक्ष मिशन, पनडुब्बी क्रूर सदस्य और खनन आदि में लंबे समय तक काम आएंगे।

श्रेणियों ने कोई राशि नहीं ली है

27 से 50 साल की उम्र के बीच के 15 लोगों में जीवविज्ञानी, ज्वेलर और गणित पढ़ाने वाले टीचर शामिल रहे। इन लोगों को इसके लिए कोई राशि भी नहीं दी गई है, लेकिन सभी वालंटियर के तौर पर इसमें शामिल हैं। प्रयोग में लगभग दस लाख यूरो (8.67 करोड़ रुपये) का खर्च आया।

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