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प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली में कोरोना : पहले ही दिन गलत साबित हुआ सरकार का ऑक्सीजन ट्रेकर

by Sneha Shukla

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: दुष्यंत शर्मा
अपडेटेड थू, 06 मई 2021 02:09 AM IST

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अस्पतालों में बिस्तरों की तरह अब सरकार ने ऑक्सीजन ट्रेकर भी शुरू किया है, इसलिए किस अस्पताल में ऑक्सीजन ऐसा है जिससे यह पता चल सकेगा, लेकिन यह ट्रेकर भी गलत साबित हुआ है। बुधवार को दिल्ली कोरोना एप के अनुसार ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में 1000 दिनों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन भंडार होने की जानकारी।

एप के अनुसार बुधवार सुबह 10:23 बजे 999 दिन और 23 घंटे के लिए ऑक्सीजन स्टॉक रेज था। हालांकि, जब हस्तक्षेप की गई तो अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि उनके पास दोपहर 2:45 बजे 952 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन बची है। यह स्टॉक आधी रात तक चल सकता है।

शहर में अस्पतालों में बिस्तर और वेंटिलेटर की जानकारी देने वाले दिल्ली कोरोना ऐप में ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर भी जानकारी देना शुरू किया गया है। ईस्ट ऑफ कैलाश की तरह दूसरे स्थानों के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन चंद घंटों की बची थी, लेकिन दिल्ली सरकार के ऐप की मान्यताओं तो इन अस्पतालों में ऑक्सीजन की पूरे साल कोई कमी नहीं है।

यह स्थिति तब है जब दिल्ली सरकार ने केवल आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि पिछले एक सप्ताह में केंद्र सरकार से मांग के अनुरूप केवल 47 प्रतिशत ऑक्सीजन ही प्राप्त हुई है। सरकार के अनुसार सात दिन से दिल्ली के अस्पतालों में 976 मिलियन टन ऑक्सीजन की प्रतिदिन मांग है, जिसके एवज में उन्हें केवल 432 मिलियन टन ही प्राप्त हुआ है। पिछले एक दिन की बात करें तो उनमें केवल 555 टन टन ही मिला। सोशल मीडिया पर एसो कॉल का सिलसिला लगातार चल रहा है।

पिछले एक दिन में 48 स्थानों से कॉल पहुंचे, जिनमें से 20 कॉल सिलिंडर के लिए, 13 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और 15 कॉलोनी के आने वाले हैं। ऑक्सीजन बेड को लेकर सरकार के पास एसो के नाम पर 4936 कॉल पहुंचे हैं। इसी दौरान सरकार ने 36 मिलियन टन सोशल मीडिया पर आईं कॉल के जरिए उपलब्ध कराया है।

विस्तार

अस्पतालों में बिस्तरों की तरह अब सरकार ने ऑक्सीजन ट्रेकर भी शुरू किया है, इसलिए किस अस्पताल में ऑक्सीजन ऐसा है जिससे यह पता चल सकेगा, लेकिन यह ट्रेकर भी गलत साबित हुआ है। बुधवार को दिल्ली कोरोना एप के अनुसार ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में 1000 दिनों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन भंडार होने की जानकारी।

एप के अनुसार बुधवार सुबह 10:23 बजे 999 दिन और 23 घंटे के लिए ऑक्सीजन स्टॉक रेज था। हालांकि, जब हस्तक्षेप की गई तो अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि उनके पास दोपहर 2:45 बजे 952 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन बची है। यह स्टॉक आधी रात तक चल सकता है।

शहर में अस्पतालों में बिस्तर और वेंटिलेटर की जानकारी देने वाले दिल्ली कोरोना ऐप में ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर भी जानकारी देना शुरू किया गया है। ईस्ट ऑफ कैलाश की तरह दूसरे स्थानों के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन चंद घंटों की बची थी, लेकिन दिल्ली सरकार के ऐप की मान्यताओं तो इन अस्पतालों में ऑक्सीजन की पूरे साल कोई कमी नहीं है।

यह स्थिति तब है जब दिल्ली सरकार ने केवल आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि पिछले एक सप्ताह में केंद्र सरकार से मांग के अनुरूप केवल 47 प्रतिशत ऑक्सीजन ही प्राप्त हुई है। सरकार के अनुसार सात दिन से दिल्ली के अस्पतालों में 976 मिलियन टन ऑक्सीजन की प्रतिदिन मांग है, जिसके एवज में उन्हें केवल 432 मिलियन टन ही प्राप्त हुआ है। पिछले एक दिन की बात करें तो उन्हें केवल 555 मिलियन टन ही मिला। सोशल मीडिया पर एसो कॉल का सिलसिला लगातार चल रहा है।

पिछले एक दिन में 48 स्थानों से कॉल पहुंचे, जिनमें से 20 कॉल सिलिंडर के लिए, 13 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और 15 कॉलोनी के आने वाले हैं। ऑक्सीजन बेड को लेकर सरकार के पास एसो के नाम पर 4936 कॉल पहुंचे हैं। इसी दौरान सरकार ने 36 मिलियन टन सोशल मीडिया पर आईं कॉल के जरिए उपलब्ध कराया है।

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