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पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग ने फिर जोर पकड़ी, वित्त मंत्री ने कहा- चर्चा के लिए तैयार

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग ने फिर जोर पकड़ी, वित्त मंत्री ने कहा- चर्चा के लिए तैयार

by Sneha Shukla

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पेट्रोल-डीजल की महंगाई को देखते हुए इसे जीएसटी के दायरे में लाने की मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है। मंगलवार को लोकसभा वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर पेट्रोल, डीजल और गैस के मूल्य घटाने के लिए हमला किया। इस चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सांसदों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। अगर राज्य चाहते हैं तो वे जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस विषय को एजेंडे में ला सकते हैं।

वित्त मंत्री ने कहा, चर्चा के लिए तैयार

वित्त मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वह इस पर चर्चा के लिए तैयार हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर सिर्फ केंद्र ही नहीं राज्य भी टैक्स लगाते हैं। इसलिए यह सिर्फ केंद्र की जिम्मेदारी नहीं हो सकती है कि वह एक्साइज ड्यूटी और टैक्स जीए। इसी तरह यह संकेत मिल रहा है कि राज्यों के चुनाव को देखते हुए वर्तमान में सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ाएगी और आगे नहीं बढ़ेगी। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद इसमें फिर तेजी दिख सकती है।

दूसरी ओर अभी कच्चे तेल के मूल्य में फिर गिरावट आई है। पिछले एक पखडिंग के दौरान क्रूड के मूल्य में 10 प्रति की कमी आई है। इससे देश में तेल कंपनियों के पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती कर सकती है। इस समय कच्चा तेल 64 डॉलर प्रति लीटर बिक रहा है। जबकि इस महीने की शुरुआत में कच्चे तेल के दाम 71 डॉलर प्रति डॉलर थे।

पीएम और पेट्रोलियम मंत्री भी समर्थन कर रहे हैं

जहां तक ​​पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का सवाल है तो यह जीएसटी के दायरे में लाने की मांग का समर्थन पीएम नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी इसे जीएसटी में लाने की सिफारिश की थी। पेट्रोलियम मंत्री का कहना था कि उन्होंने तेल उत्पादक देश विशेष कर ओपेक से कई बार खादें बढ़ाने को कहा ताकि कच्चे तेल की आंतरिक कीमतों में गिरावट संभव हो। लेकिन सऊदी अरब ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया। उल्टे उसने सलाह दे डाली कि भारत सस्ते दामों पर खरीदे गए पेट्रोल के रिजर्व से काम चला गया।

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