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यूपी :स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंची बीएचयू में लापरवाही की शिकायत, डीएम ने भेजी रिपोर्ट

by Sneha Shukla

रिपोर्टर डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी

द्वारा प्रकाशित: लेखराज गौतम
अपडेट किया गया बुध, 05 मई 2021 12:51 AM IST

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बैचयू के सुपर स्पेशलिटीिटी ब्लॉक में इलाज में लापरवाही की शिकायतों अब स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंची हैं। वाराणसी जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को शिकायत भेजी है। इसमें मरीजों के परिजनों द्वारा की गई शिकायत के साथ ही ऑड और वीडियो से की गई शिकायतों का जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है।

बाउलेशनू सुपर स्पेशलिटीिटी कांप्लेक्स के साथ ही ट्रॉमा सेंटर को लेवल तीन का कोविड अस्पताल बनाया गया है। जिस तरह से कोरोना से होने वाली मौतों का ग्राफ बढ़ा है, उसमें कहीं न कहीं बेचानू में इलाज में लापरवाही को ही प्रमुख कारण माना जा रहा है। आए दिन जिला प्रशासन के पास बैचयू में मरीजों के परिजन लापरवाही की शिकायत कर रहे हैं। एक के बाद एक परिजनों की शिकायतों को अब जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दी है। जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण में कमी आ रही है लेकिन मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।

हर दिन की रिपोर्ट में बैकुण्ठ में मृत्यु अधिक है

स्वास्थ विभाग की ओर से जारी होने वाली मेडिकल बुलेटिन में सबसे ज्यादा बैचयू में मौत हो रही है। जिला अधिकारी ने बताया कि इस तरह की स्थिति तब है, जब बाउलेशनू प्रशासन के साथ समय-समय पर बैठक कर जांच, इलाज सहित अन्य प्रक्रिया में सहयोग किया जा रहा है।

प्रशासन की छवि खराब हो रही है
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि आए दिन बाउलेशनू में इलाज में लापरवाही की जिस तरह से शिकायतें मिल रही हैं, कहीं न कहीं जिला प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। मरीजों के परिजनों का भी आरोप है कि यहां सीनियर डाक्टर नहीं जाते हैं। बताया कि बार-बार बेचानू प्रशासन को पत्र लिखने के बाद भी शिकायतों में कमी नहीं आने पर स्वास्थ्य मंत्रालय को अवगत कराया गया है, साथ ही शासन को भी रिपोर्ट भेजी जा रही है।

बिस्तर के लिए मरीजों को करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है

बैचयू में मरीजों के परिजनों को बिस्तर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। यहां मुख्यमंत्री के कहनेे जाने के बाद भी अब तक बिस्तर के बारे में किसी को कोई सही जानकारी डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से नहीं मिल पाती है। पिछले एक सप्ताह के भीतर कई रोगियों की मौतों में परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर कार्यवाही की मांग की हैं।

बैचयू में 12 घंटे नहीं पहुंचे डॉ, मौत
विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक सदन गोपाल मिश्र की मंगलवार दिन में एक बजे मौत हो गई। वह तेलियाबाग के सिंह मेडिकल में भर्ती थे। वह लगभग 20 अप्रैल से बीमार थे। बैचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती के बाद उन्हें अव्यवस्था से जूझना पड़ा था। 12 घंटे तक उन्हें देखने के लिए कोई डॉ। नहीं पहुंचे तो वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में भर्ती हुए। वहाँ भी अव्यवस्था से सामना हुआ। स्थिति नहीं सुधारी तो सिंह मेडिकल में भर्ती हुई, जहां आज उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि वह कोरोना पॉजिटिव थे।

आक्सीजन नहीं मिलने से मौत हुई
बैद्यू के संगीत और मंच कला संकाय की वायलिन वादक डॉ। सवर्ण कन्यातेया की मौत बैचयू में आक्सीजन नहीं मिलने से हुई थी। उनके सहयोगियों का आरोप है कि डॉ। सवर्ण को दो दिन से ऑक्सीजन ही नहीं दी गई। वहीं सवर्ण बाबूराव को विभाजित वार्ड की बदहाली देख काफी घबराहट और तनाव में था। उन्होंने कहा कि मैं आक्सीजन के बगैर शवांस नहीं ले सकता। मैसेज में यह भी स्पष्ट हुआ कि सवर्ना बिना इलाज के ही दम तोड़ दी। जांच होने के बाद रिपोर्ट तो आई लेकिन इलाज के लिए कोई डाक्टर नहीं पहुंचा था। यदि वे आक्सीजन या दवा मिल जाते हैं तो शायद जान बच सकती है। सवर्ण के भर्ती होने के एक दिन बाद तक मैसेज के जवाब दे रही थी, लेकिन दूसरे दिन वह भी बंद हो गई और तीसरे दिन नहीं रही।

बैचयू के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में इलाज में लापरवाही की शिकायतों अब स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंची हैं। वाराणसी जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को शिकायत भेजी है। इसमें मरीजों के परिजनों द्वारा की गई शिकायत के साथ ही ऑड और वीडियो से की गई शिकायतों का जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है।

बाउलेशनू सुपर स्पेशलिटीिटी कांप्लेक्स के साथ ही ट्रॉमा सेंटर को लेवल तीन का कोविड अस्पताल बनाया गया है। जिस तरह से कोरोना से होने वाली मौतों का ग्राफ बढ़ा है, उसमें कहीं न कहीं बेचानू में इलाज में लापरवाही को ही प्रमुख कारण माना जा रहा है। आए दिन जिला प्रशासन के पास बैचयू में मरीजों के परिजन लापरवाही की शिकायत कर रहे हैं। एक के बाद एक परिजनों की शिकायतों को अब जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दी है। जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण में कमी आ रही है लेकिन मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।

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