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वैज्ञानिकों का दावा : सलाह लिए बगैर एन-440 वैरिएंट का झूठ स्वीकारा, सवालों में दिल्ली सरकार

by Sneha Shukla

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को लेकर दिल्ली सरकार का फैसला एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार वैज्ञानिकों से बगैर सलाह के सरकार ने एन -440 वैरिएंट के झूठ पर विश्वास कर लिया और आदेश जारी करते हुए दोनों राज्यों से आने वाले को क्वारंटीन करने के लिए कहा। इस पर वैज्ञानिकों ने काफी आपत्ति जताई है। उन्होंने यहां तक ​​कहा कि ऐसी कोई भी सरकार महामारी की लड़ाई को जीत नहीं सकती है। वैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान न देने से काफी नुकसान हो सकता है।

दरअसल, एक दिन पहले दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में कहा गया था कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन मिला है, जो काफी घातक है। इसकी वजह से उच्च स्तर का संक्रमण बढ़ेगा और बीमारी भी गंभीर होगी। इसलिए बैठक में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से दिल्ली आने वालों को 14 दिन के लिए सरकार के क्वारंटीन केंद्र या फिर प्राथमिक केंद्र रहना चाहिए। इसके लिए बाकायदा जिला प्रशासनों को जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।

नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर आईजीआईबी के निदेशक डॉ। अनुराग अग्रवाल ने स्पष्ट कहा है कि यह खबर पूरी तरह से गलत है। एन 440 के वैरिएंट को लेकर झूठी जानकारी फैली है, जिस पर सरकार ने भरोसा किया है। हैदराबाद स्थित CCMB के निदेशक डॉ। राकेश मिश्रा पहले ही कह चुके हैं कि यह कोई नया वैरिएंट नहीं है। पिछले साल यह आंध्र प्रदेश के कुछ रोगियों में मिला था, लेकिन इस साल फरवरी से अब तक सामने आए सैंपल में इसकी मौजूदगी न के बराबर ही मिली है। इसके अनुसार यह कहा जा सकता है कि अब यह वैरिएंट गायब होने लगा है। ऐसे में सरकार भ्रामक जानकारी पर भरोसा कर नए वैरिएंट का हवाला देकर कैसे फैसला ले सकती है?

आदेश में नए स्ट्रेन का नाम नहीं

डीडीएमए ने अपने आदेश में कहीं भी नए स्ट्रेन का नाम उजागर नहीं किया है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले एक साल में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यही एकमात्र वैरिएंट मिला है। इससे पहले भारत सरकार के डीबीटी विभाग की सचिव डॉ। रेणु स्वरूप भी कह रहा है कि सभी स्ट्रेन वैरिएंट हो सकते हैं, लेकिन हर वैरिएंट वायरस का स्ट्रेन नहीं हो सकता है।

वर्तमान में केरल में मिला

सीसीएमबी में जीनोम सिक्वेसिंग देख रहे दिव्य सोपति का कहना है कि एन 440 के वैरिएंट वर्तमान में केरल के 20 प्रतिशत सैंपल में मिला है। इसके अलावा कहीं और राज्य में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। न तो यह वैरिएंट 15 गुना अधिक जानलेवा है और न ही यह नया है। उन्होंने कहा कि यह लंबे लोगों में पहले से ही काफी खौफ और सदमा है। झूठी खबरों को बढ़ावा देने से काफी नुकसान हो सकता है।

अब तक दिल्ली में ये तनाव मिला

केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के अनुसार अब तक दिल्ली में यूके, दक्षिण अफ्रीका और डबल म्यूटेशन की पुष्टि हुई है, लेकिन एन 440 के वैरिएंट का कोई मामला सामने नहीं आया है।

उनके अनुसार बी .1.1.7 में यूके वैरिएंट 482 मरीज दिल्ली में मिल चुके हैं जिनमें से केवल 91 मरीज ऐसे थे जो विदेशी प्रवासी से आए थे या फिर उनके संपर्क में आने के बाद परिजन सावधान हुए थ्रे, लेकिन इन लोगों के संपर्क में। आने से दिल्ली के काफी लोग भी कोरोना की चपेट में आए और उनमें से 391 सैंपल में यूके वैरिएंट की पुष्टि भी गई है।

ठीक इसी तरह बी .1.351 नामक दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट से दिल्ली में 23 लोग प्रभावित हुए, जिनमें चार विदेशी सेफ्टी वाले दिल्ली वाले थे। इन चारों ने अन्य 19 लोगों को सतर्क कर दिया जो न कभी विदेश गए थे और न ही उनके परिवार से कोई गया था। ठीक इसी तरह डबल म्यूटेशन के दिल्ली में 107 मामले मिले। जिसमें से एक मरीज विदेश से लौटकर आया था, लेकिन बाकी 106 मरीज राजधानी में ही भर्ती हुए। एल 452 आर और ई 484 क्यू नामक वैरिएंट ने मिलकर डबल म्यूटेशन किया था।

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