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Ketki ka Phool kaisa hota hai

केतकी का फूल कैसा होता है ? – Ketki ka Phool kaisa hota hai

by Pritam Yadav

Ketki ka Phool kaisa hota hai :- विश्व भर में फूलों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है। कुछ फुल औषधियों में काम आती है, तो कुछ फूलों की खूबसूरती देखने लायक होती है।

रंग – बिरंगी और छोटे – बड़े सभी आकार के फूल दुनिया भर में पाए जाते हैं। इन्हीं में से एक फूल है, ‘केतकी का फूल’। जी हाँ जिसका जिक्र, प्राचीन हिंदू पुराणों और शास्त्रों में देखने को मिलता है।

प्राचीन शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है,  कि केतकी के फूल को कभी भी शिव भगवान के चरणों में अर्पित नहीं किया जा जाता है। और इसके पीछे का रहस्य क्या है ? इसके बारे में हम नीचे बात करेंगे और साथ ही साथ हम यह भी जानेंगे, कि केतकी का फूल कैसा होता है और केतकी के फूल का दूसरा नाम क्या है ?


केतकी का फूल कैसा होता है ? – Ketki ka Phool kaisa hota hai

Ketki ka Phool kaisa hota hai

केतकी का फूल विश्व की सबसे खूबसूरत और सुगंधित फूलों की सूची में आता है। यह फूल विश्व भर में दो रंगों में पाया जाता है, पहला है सफेद रंग जिसे केवड़ा के फूल के नाम से जाना जाता है और दूसरा पीले रंग का फूल जिसे स्वर्ण केतकी  भी कहते हैं।

केतकी के फूल में पांच पंखुड़ियां होती है, जो छूने में बहुत ही कोमल और देखने में बहुत ही मनोरम और आकर्षक लगता है। इनका आकार तकरीबन 2 सेंटीमीटर से 5 सेंटीमीटर तक होता है।

इनकी पंखुड़ियों को पाठ्यक्रमिक रूप से ठंडे पानी से भिगोया जाता है और इसे सुंदर और अपूर्णता मुक्त बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

केतकी के फूल की पत्तियां प्रायः नुकीली, चपटी और मुलायम होती है। इसका पौधा अधिकतर दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों जैसे कि भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस में पाए जाते हैं।

केतकी के फूलों की महक और सुंदर अरोमा बहुत अधिक होती है, इसी वजह से इन्हें आमतौर पर परफ्यूम बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा केतकी के पत्ते भी बहुत ज्यादा उपयोगी होते हैं और विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं, खासतौर पर इसका इस्तेमाल दक्षिण भारतीय खाने में अधिक किया जाता है।


केतकी के पेड़ कैसे होते हैं ?

केतकी के पौधे मुख्य रूप से मूल और छोटे पेड़ के रूप में पाए जाते हैं, जो आमतौर पर 3 से 5 मीटर ऊंचा होता है। लेकिन केतकी की कुछ प्रजातियां इससे अधिक ऊंचाई तक भी पहुंच सकती है।

केतकी का पेड़ बेलदारीदार और अच्छी तरह से शाखाएँ फैलाने वाला होता है।  इसका छाल हल्का भूरा रंग का होता है और इसकी ऊपरी सतह पर कई छोटे और नुकीले धारे होती है।

इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली और पतली होती हैं जिन पर धाराएं बनी होती है जो पेड़ की सुंदरता को और बढ़ाती हैं।

केतकी के पेड़ की मुख्य पहचान उसकी फल देने वाली शाखाएं होती हैं। यह शाखाएं पेड़ के मध्य से ऊपर की ओर सीधी और तिरछी बनती है। केतकी के पेड़ सुंदरता के साथ उपयोगी भी होते हैं और इसके पत्ते और फूलों का अपना ही अलग सुगंध होता है।


केतकी का फूल कब खिलता है ?

हालांकि केतकी के फूलों की खिलने की प्रक्रिया इस पौधे की प्रजाति, स्थानीय मौसम और वातावरण के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। इसलिए फूलों को खिलने की तारीखों में कुछ अंतर होना लाजमी है।

वैसे आमतौर पर केतकी के फूल के खिलने का समय जुलाई से अक्टूबर के आसपास होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय मौसम बहुत अच्छा होता है और पौधे को सही मात्रा में पानी और धूप प्राप्त होता है।

जिस स्थान पर केतकी का फूल खिलता है, उस स्थान के आसपास का वातावरण काफी सुगंधित हो जाता है और दूर से ही इस बात का संकेत मिल जाता है,  की आसपास कहीं केतकी का फूल खिला है।


केतकी के फूल का इतिहास

केतकी के फूल का इतिहास काफी प्राचीन है, जिसका जिक्र प्राचीन पुराणों और शास्त्रों में भी किया गया है। यह फूल पांडानैसी ( Pandanaceae ) प्रजाति से है, जिसका साइंटिफिक नाम ‘Pandanus Odoratissimus ( पैंडनस ओडोरैटिसिमस )’ है।

केतकी का फूल दिखने में काफी सुंदर और सुगंधित होता है इसे दुनिया भर में विभिन्न नामों से जाना जाता। जैसे अंग्रेजी भाषा में केतकी के फूल को screwpine के नाम से जाना जाता ह,  तो वहीं कुछ लोग इसे केवड़ा का फूल भी कहते हैं।

इतिहास के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि भारत में केतकी का फूल सबसे अधिक मोहम्मदी नगर के ऐतिहासिक स्थान मेहंदी बाग में पाए जाते हैं।

दरअसल ऐसा कहा जाता है, कि उत्तर प्रदेश के मोहम्मदी नगर के रहने वाले चौकीदार हकीम नवाब मेहंदी अली खान ने 1799 से 1820 के करीब मोहम्मदी नगर में एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक बाग बनवाया था, जिसे आज भी मेहंदी बाग के नाम से पूरे भारत में जाना जाता है।

उन दिनों मेहंदी खान ने कहीं से केतकी के फूल को आयात करके यहां लाया था और सबसे पहले इसी बाग में इस फूल को गाया था।

10.9 एकड़ में फैले इस ऐतिहासिक मेहंदी बाग में आज भी सबसे ज्यादा तादाद में इस फूल की खेती की जाती है। इतना ही नहीं इतिहास की माने तो, केतकी का फूल बल्कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान से ही विदेशों में निर्यात होता रहा है और भी यह कार्य ऐसे ही जारी है।

वर्तमान समय में इस ऐतिहासिक बाघ की देखरेख नगरपालिका मोहम्मदी की निगरानी में है।


केतकी के फूल का उपयोग

केतकी के फूल की सुगंध सबसे मनमोहक होती है, इसी वजह से इसके फूल का प्रयोग अधिकतर इत्र तथा परफ्यूम बनाने के लिए किया जाता है।

इसके अलावा केतकी के  फूल का प्रयोग पान में इस्तेमाल किए जाने वाले कत्था को  सुगंधित करने के लिए भी किया जाता है।

इतना ही नहीं केतकी के फूलों का उपयोग विभिन्न पकवानों, मिठाइयों और ड्रिंक में अरोमा और स्वाद बढ़ाने के लिए भी  किया जाता है, यह खाने को मजेदार और महकदार बनाता है।

केतकी के फूल धार्मिक और पूजा आराधना में भी प्रयोग होते हैं। विशेष रूप से भारतीय और दक्षिणी एशियाई संस्कृति में इन फूलों को मंदिरों, पूजा स्थलों और पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा इस फूल का उपयोग साबुन,  लोशन, बाथा औषधि आदि बनाने में किया जाता है और तो और इनका प्रयोग विविध फूल माला, फूलों से सजी चादरों आदि में भी किया जाता है।


केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ता है ?

जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया था, कि केतकी के फूल का वर्णन हिंदू पुराणों और शास्त्रों में भी किया गया है, जिसके अनुसार यह कहा जाता है, कि केतकी के फूल को कभी भी भगवान शिव के चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए। दरअसल इसके पीछे भी एक रहस्य छुपा है,  जिसके बारे में हम यहां पर बात कर रहे हैं।

ऐसा कहा जाता है, कि भगवान शिव को केतकी का फूल नापसंद था और जो चीज भगवान शिव को स्वयं पसंद ना हो उन चीजों को कभी भी उनके चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए।

हालांकि महादेवी कैसे देखता है जिनके चरणों में नाना प्रकार की चीजें अर्पित की जा सकती है और की भी जाती है जैसे शमी पत्र धतूरा कमलगट्टा बिल्वपत्र प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक कभी भी उनके चरणों में केतकी के फूल नहीं चढ़ाए गए हैं।

कुछ पौराणिक कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है, कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच किसी बात को लेकर काफी विवाद चल रहा था और विवाद था, कि दोनों ने सबसे श्रेष्ठ कौन है यह विवाद धीरे-धीरे इतना बढ़ गया, कि उन्हें भगवान शिव का सहारा लेना पड़ा भगवान शिव जी ने उनकी बात सुनी और विवाद खत्म करने के लिए एक तरकीब सोची और उन्होंने तुरंत शिवलिंग यानि ज्योतिर्लिंग को प्रकट किया। और ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी के बीच एक प्रतियोगिता रखी।

दरअसल इस प्रतियोगिता में शिवलिंग यानी ज्योतिर्लिंग के आदि अंत यानी शिवलिंग के अंतिम छोर का पता लगाने को कहा, उन्होंने कहा कि जो सबसे पहले इस बात का पता लगाएगा वही इस प्रतियोगिता का विजेता कहलाएगा।

यह सुनते ही ब्रह्मा जी और विष्णु जी इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए अलग-अलग दिशा में चले गए। विष्णु जी जानकारी की तलाश में ऊपर की ओर गए तो वही ब्रह्मा जी जानकारी जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए नीचे की ओर बढ़े।

कुछ समय चलने के बाद ब्रह्मा जी को रास्ते में केतकी का फूल दिखाई दिया।

केतकी का फूल दिखाई देते ही ब्रह्मा जी के दिमाग में एक तरकीब आई  उन्होंने केतकी के फूल को झूठ कहने के लिए मना लिया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के सामने यह झूठ कह देना, कि मुझे इस शिवलिंग के आदि अंत का पता चल गया है।

वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु को इसकी कोई जानकारी नहीं मिल सकी और वे बिना जानकारी लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। विष्णु जी ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी, वह इस प्रश्न का उत्तर नहीं तलाश कर सकें।

वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा, कि उन्होंने इस बात का पता लगा लिया है, कि  शिवलिंग का आदि अंत कहां है और इस बात की साक्षी केतकी फूल है।

केतकी फूल ने भी भगवान शिव के सामने ब्रह्मा जी का साथ दीया। लेकिन भगवान शिव को पता चल गया कि ब्रह्मा जी और केतकी का फूल झूठ बोल रही है।

झूठ का पता लगते ही भगवान शिव क्रोध में आकर  केतकी के फूल को श्राप देते हुए कहा कि मेरी पूजा में केतकी का फूल प्रायः वर्जित रहेगा।

तब से लेकर आज तक कभी भी भगवान शिव के चरणों में केतकी का फूल नहीं चढ़ाया गया। और ब्रह्मा जी को श्राप देते हुए कहा कि धरती पर कभी भी अब ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होगी।


FAQ’S:-

Q1. केतकी के फूल का दूसरा नाम क्या है ? – Ketki ka Phool kaisa hota hai

Ans - केतकी के फूल को प्रायः केवड़ा के नाम से जाना जाता है।

Q2. केतकी के फूल का साइंटिफिक नाम क्या है ?

Ans - केतकी के फूल का साइंटिफिक नाम ' Pandanus Odoratissimus 
( पैंडनस ओडोरैटिसिमस )' है।

Q3. केतकी के फूल को किस चीज में प्रयोग किया जाता है ?

Ans - केतकी के फूल को आमतौर पर परफ्यूम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Q4. केतकी के फूल की पहचान कैसे करते हैं ?

Ans - केतकी के फूल प्राया सफेद और पीले रंग के कोमल तथा सुगंधित होते हैं, जिससे 
स्कूल की पहचान करना आसान होता है।

Q5. केतकी का फूल कहां पाया जाता है ?

Ans - केतकी का फूल अधिकतर दक्षिण एशिया के कुछ हिस्से जैसे, कि भारत, 
पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया आदि में पाया जाता है।

निष्कर्ष :- 

आज के इस लेख में हमने जाना कि ‘ Ketki ka Phool kaisa hota hai ‘ और केतकी का फूल कब खिलता है ?

इसके अलावा केतकी के फूल का प्रयोग क्या है और भगवान शिव को केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ाया जाता है के बारे में भी हमने यहां विस्तार पूर्वक जानकारी हासिल की है।

उम्मीद करते हैं, यहां दी गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी और यदि यह लेख आपको पसंद आया हो, तो कृपया इसे शेयर करें और नीचे कमेंट के माध्यम से इस लेख के प्रति अपनी राय अवश्य व्यक्त करें।


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