नमस्कार दोस्तों, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नाम भारत के प्रमुख वन्य अभ्यारण के अंदर आता है। यह राजस्थान के अंतर्गत स्थित एक विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कौन सी नदियां बहती है,(kevladev rashtriy udyan mein kaun si nadiya bahti hain)
राजस्थान तथा भारत के कई कंपटीशन एग्जाम के अंतर्गत इस विषय के बारे में प्रश्न पूछा जाता है। तो यदि आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आपको इसके बारे में जानना काफी आवश्यक है।
अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन सी नदियां बहती है,(kevladev rashtriy udyan mein kaun si nadiya bahti hain) हम आपको इस विषय से जुड़े लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत देने वाले हैं, तो ऐसे में आज का यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, तो इसको अंत तक जरूर पढ़िए।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन सी नदियां बहती है ? (kevladev rashtriy udyan mein kaun si nadiya bahti hain)
अगर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत बहने वाली नदियों की बात की जाए, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि यहां पर दो डॉन नदियां बहती है, जिसका नाम है, बाणगंगा नदी वह गंभीरी नदी।
तो यदि आपको भविष्य में कभी यह प्रश्न पूछा जाता है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन सी नदियां बहती है तो उसका उत्तर यह देना है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत कुल 2 नदियां बहती है जिनका नाम है, बाणगंगा वह गंभीरी नदी।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
दोस्तों केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत देश के राजस्थान राज्य के अंतर्गत स्थित एक काफी प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है। केला देवी राष्ट्रीय उद्यान को पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था, इस वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत हजारों की संख्या में एसी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है, जो विलुप्त हो चुकी है। अगर इस वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत पाई जाने वाली प्रजाति की बात की जाए तो इसके अंतर्गत मुख्य रूप से साइबेरिया, आय सारस का नाम शामिल है। यह दोनों प्रजातियां मुख्य रूप से इसी वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत देखने को मिलती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
दोस्तों केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास काफी पुराना है, राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण लगभग 240 वर्ष पहले करवाया गया था। इसका नाम केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान केवलादेव मंदिर के नाम पर रखा गया था, यह मंदिर इसी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत स्थित है।
इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत एक प्राकृतिक ढलान देखने को मिलती है जिसके कारण यहां पर वार्ड आना एक आम बात थी, लेकिन बाद में भरतपुर के राजा महाराजा सूरजमल के द्वारा यहां पर अजान बांध का निर्माण करवाया गया था, और यह बांध इस वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत बहने वाली गंभीरी तथा बाणगंगा नदी के संगम पर बनाया गया था। और इसके बाद इस वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत बाढ़ की समस्या का समाधान करने में काफी सहायता मिली है।
खतरा
2004 के अंत में, वसुंधरा राजे की सरकार ने किसानों के दबाव के आगे घुटने टेक दिए और बर्डहाउस को भेजे जाने वाले पानी को रोक दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप पार्क में पानी की आपूर्ति 54,000,000 से घटकर 540,000,000 हो गई। 18,000,000 क्यूबिक फीट (15,000,000 से 510,000 मी0) है।
यह कदम यहां के पर्यावरण के लिए काफी भयावह साबित हुआ। यहां की दलदली भूमि सूखी और बेकार हो गई, अधिकांश पक्षी उड़ गए और प्रजनन के लिए अन्य स्थानों पर चले गए। कई पक्षी प्रजातियां नई दिल्ली से लगभग 90 किमी दूर गंगा नदी पर स्थित उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर में चली गईं। उन्होंने पक्षियों के शिकार को पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा निंदनीय बताते हुए इसके विरोध में न्यायालय में जनहित याचिका दायर की।
Also read:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
- गांधी जी का पूरा नाम क्या है?
- भारत रतन का प्रतीक किसके समान है?
आज आपने क्या सीखा
तो आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना की केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कौन सी नदियां बहती है, (kevladev rashtriy udyan mein kaun si nadiya bahti hain)हमने आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से शेयर की है। इसके अलावा आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बताया, कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहां पर स्थित है, इसके अलावा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े लगभग हर एक जानकारी हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से दी है।
दोस्तों हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से इस विषय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है। अगर यह जानकारी आपको पसंद आए तो इसे सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा आप इस विषय के बारे में अपनी राय हमें कमेंट में बता सकते हैं।
Homepage | Click Hear |