3 Kaam Ramzan Khatm Hone Se Pahle Kare :- अस्सलामुअलैकुम नाज़राने दीन आज हम बात करने वाले हैं – रमदान के महीने मैं तीन ऐसे एहम काम जो रमदान जाने से पहले करलें तो अल्लाह के इस मुबारख तोहफे और हमारे इस मेहमान से हम ज़ादा से ज़ादा गुनाहो ग़लतियो और कोताहियों को माफ़ करा सकते हैं।
इस महीन का इस्तेकबाल, शुक्र और अस्तखफार पड़ना यही वो तीन चीज़े हैं, जो हमारे इस मुबारख महीने रमदान को मेहफ़ूज़ रखता है और हमने जो इबादत की तिलावत की उनको मेहफ़ूज़ रखने का एक ज़रिया है।
अब सवाल है, की ये तीन काम करने का तरीक़ा हमारे प्यारे नबी ने किस तरह से समझाया है और कैसे हम सही कर सकते हैं। जानते है कुछ बातें जो मालूम हैं और जैसा की आप जानते है दिन पर चलना बोहोत आसान है बशर्ते एक मोमिन के लिए हमने कुछ बातें नीचे बताने की छोटी सी कोशिश की है।
रमदान का इस्तेखबाल कैसे करें ? And 3 Kaam Ramzan Khatm Hone Se Pahle Kare
इस्तेखबाल से मुराद यह नहीं है, की आप लाइट या जैसे कोई दावत का मसला हो बल्की यह है की आप नबी पाक सल्ललाहु अलैही वसल्लम ने रमदान का इस्तेखबाल करके कैसे दिखाया है आप रमदान का इस्तेखबाल ऐसे करते थे, की शाबान के महीने से ही रोज़े रखना शुरू करते थे और रमदान के लीये खुद को तैयार करना की आप ज़ादा से ज़ादा इबादत कर सके और हम देखते हैं, की आप नबी ” सल्ललाहो अलैही वसल्लम ” ने अपनी ज़िन्दगी मैं शाबान के महीने मैं सबसे ज़ादा कसरत से रोज़े रखे हैं।
तो आप भी काम से काम शाबान के महीने से अपनी खुराक मैं कमी करना शुरू करें, अगर रोज़े न रख सके इससे आपकी बर्दाश की हद बड़जाएगी और आप आने वाले रमदान के लिए तैयार रहेंगे और इससे मुराद यह भी है, की आप अपने घर मैं पहले से ही माहौल बनाये रमदान का अपने घर के तमाम लोगो को इस महीने की फ़ज़ीलत और इससे होने वाले बुलंद दरजात जो अल्लाह अता फरमाएगा।
बातये जिससे की उनके दील मैं भी रोज़े रखने की हसद पैदा होजाए और वो भी बेहेस लगाए अल्लाह को हसद रखने वाला और दुसरो से बेहेस करने वाला इंसान. ना पसंद है, लेकिन इबादत की बात आती है तो अल्लाह चाहता है, की हम एकदसरे से बेहेस लगाए एकदूसरे से आगे निकालके बड़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले बने हम सभी को अल्लाह तबाराख व तआला इसपर अमल करने की तौफीक अता फरमाए अमीन सुम्मा अमीन।
रामदाना के महीने का शुक्र अदा करना
जैसा की आप जानते हैं और अगर नहीं जानते तो हम आपको बतादे की ये महीना हर एक मुसलमान के लीये बहुत फायदे का महीना है सारी उम्र जो गुनाह हुए गलतियां की उनसे निजाद और अल्लाह से तौबा और दोज़क से बचने का महीना है।
इसलिए हमे चाइये की हम उस अल्लाह की ज़ात का शुक्र अता करें, जिसने हमे तौबा का और गुनाहो को ज़ादा से ज़ादा माफ़ करने के लये ये महीना अत कीया इसके लीये हमे चाइये की हम ज़ादा से ज़ादा रोज़े के एहकामात का ख्याल रखें नमाज़े पड़े तरावी पड़े और कुरआन-इ-पाक की तिलावत करें और दुआ करे अपने बड़ो के लिए और जो हमारे मरहूम इस दुनिया से रुख्से हो गये हैं।
उनकी मख़्फ़िरत के लिए हाथ उठाये और दुआ करें अल्लाह का ज़िकर और अफ्तार के वक़्त दुआ करना और अल्लाह का शुक्र करना जिसने हमे इन नेमतों से नवाज़ा है, शुक्र करने से अल्लाह राज़ी होता है और अल्लाह को पसंद है यह बिलकुल ऐसे है जैसे हम किसी काम को करके उसकी तारीफ पसंद करते है।
इससे मुराद है, की वो ज़ाद जिसने हमे ये नेमते दी और बेशक वही है जो हर चीज़ पे कदीर है हमऐ. चाइये की हम शुक्र अता करते रहे और यही शुक्र से यहाँ भी मुराद है रमदान का वाहिद महीना हमारे गुनाहो की माफ़ी के लिए अल्लाह तावला ने हमे आता फ़रमाया है जिसका पूरा फैयदा हमे उठाना चाइये और ज़ादा से ज़ादा सवाबेदारी मैं हिस्सा लेना चाइये
असतकफार पड़ने की फ़ज़ीलत
बिरादराने इस्लाम जैसा की आप जानते हैं, की अल्लाह को ताक्काबुर किस कदर न पसंद है और हम रोज़ा रख कर नमाज़ें आता करके खुद को बेहतर और दुसरो को कमतर न समझें जैसा की ये इसी तरह से जिस तरह से हम आम दिन मैं भी ये सोचते की हम नमाज़ पड़ते हैं तो हम बेहतर हैं।
फला आदमी नमाज़ नहीं पड़ता वो बत्तर है या तौबा नौज़बिल्ला वो दोज़की है हमे ये नहीं करना है और दिन को अल्लाह ने अपने कलम पाक मैं ऐसे बताया है, जैसे दुनिया के सरे समंदर के पानी की सियाही बनादि जाये और उससे लिखा जाये तो भी दिन मुक्कमल किसी का नहीं हो पायेगा तो बेहतर है, की जो भी हमने कमाया रमदान मैं इबादत करके उसको मेहफ़ूज़ कराया जाये अल्लाह के खाते मैं वो इस तरह होगा।
जब हम ास्तक्वर पड़ेगे शैतान हमसे दूर होगा और फिर हमारे अंदर तककब्बुर न होक बेबसी और अल्लाह के सामने लाचारी का आलम होगा बेशक वो सबपर कदर है, उसके सामने हम ऐसे है जैसे की हमारे सामने ये मिट्ठी जिसका कोई कीमत नहीं हम चाहे तो इस मट्ठी को काम का बनके इसको हैसियत देदे।
इसी तरह अल्लाह चाहे तो हमे निजाद दे और वो चाहे तो हमे ख़ाक करदे यही अल्लाह को पसंद है और बेशक वो सत्तर माँ के बराबर दिल वाला घनी है, तो हमे चाइये की हम तौबा करे और कहे की ए अल्लाह मेरे रोज़े मैं जो कमी रहगयी माफ़ फार्मा सेहरी मैं जो कोताई रेहगाई माफ़ फार्मा नमाज़ अत करने मई जो गलतिया हुई, उन्हें माफ़ फार्मा वाज़ू करने मैं जो गलती हुई, उन्हें माफ़ फार्मा इंशाल्लाह इन काम को करने से अल्लाह राज़ी हो या न हो लेकिन आपकी तरफ एक नज़र करेगा इंशाल्लाह और उस परवरदिगार की एक नज़र काफी है।
ज़िदगी और आख़िरत को बेहतर बनाने की तो तमान मोहतरमा हज़रात से यही ग़ुज़ारिश है की खास ख्याल रखें की नरम दिल और सादगी पसंद इंसान बनने की कोशिश करें।
Conclusion ( नतीजा )
तो नज़राने इस्लाम आप सभी को ये बातें बताने से फ़रियाद यही है, की हम दीन के काम ऐसे करे जैसे हम अपने जाती ज़िन्दगी और ऑफिस के कामो को बोहोत सोचकर और समझदारी और हर बात का ख्याल रखते हुए करते हैं।
मैं समझाता हु की इन 3 Kaam Ramzan Khatm Hone Se Pahle Kare को फॉलो करना बेहद मुश्किल काम तो बिलकुल भी नहीं है, अल्लाह आपको और हम सबको कहने सुनने से ज़ादा अमल की तौफीक आता फरमाए ।
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