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Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

by Pritam Yadav

Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain :- आज के इस लेख की मदद से हम जानने वाले हैं, कि भाषा के कितने रूप होते हैं। आपने भाषा का नाम तो अवश्य सुना होगा और आपको यह भी मालूम होगा, कि भारत में कितने ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं।

मगर कई सारे ऐसे लोग हैं, जिनको मालूम नहीं है, कि भाषा क्या होता है और भाषा के कितने रूप होते हैं, तो भाषा से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहिए, क्योंकि इस लेख में हमने इसी पर विचार विमर्श किया है, तो चलिए शुरू करते हैं।


भाषा किसे कहते है | भाषा का अर्थ क्या होता है ? | Bhasha Kya Hai ?

भाषा एक दूसरे से बात करने के लिए एक प्रकार का माध्यम है। लोग भाषा के माध्यम से अपने अंदर की भावनाएँ , नाराज़गी, गुस्सा, प्यार, उपकार, शिष्टाचार, मोह, आदेश, ख़ुशी, आज्ञा और अनेक मनोदशा को किसी अन्य इंसान के सामने जाहिर करता है।

आपने अक्सर देखा होगा, कि जब कोई व्यक्ति गुस्सा करता है, तो वह सामने वाले व्यक्ति को दिखाने के लिए अपने मुट्ठी बंद कर लेता है या दाँत किटकिटाने लगता है या उसका मुंह गुस्से से लाल हो जाता है, तो यह भी एक प्रकार की भाषा है, लोगों के सामने अपने मन के चीज़ों को व्यक्त करने का।

वैसे ही अगर कोई व्यक्ति खुश होता है या आनंद होता है, तो सामने वाले व्यक्ति की ओर दिल खोल कर हंसता है, तो सामने वाले व्यक्ति उसकी भावनाओं को अच्छी तरह से समझ सकते हैं, कि वह बंदा गुस्सा है या खुश है।

तो यह भी एक प्रकार की भाषा ही होती है,  जिससे लोग एक दूसरे के बीच बात करते हैं और एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं। भाषा को इंग्लिश में language कहते हैं।

एक दूसरे से बात करना ही भाषा नहीं होता है, आपने अक्सर देखा होगा, कि कुछ लोग गूंगे होते हैं, जो बोल नहीं सकते हैं, लेकिन वह भी एक दूसरे के साथ अच्छे से बात कर लेते हैं, और एक दूसरे की भावनाओं को काफी अच्छी तरह से समझ लेते हैं, तो वह भी एक प्रकार की भाषा ही होती है, जिसकी मदद से लोग आपस में वार्तालाप करते हैं।


भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

हमने ऊपर के टॉपिक में जाना की भाषा किसे कहते हैं, अब हम इस टॉपिक में जानेंगे की भाषा के कितने रूप होते हैं, तो चलिए शुरू करते हैं। हम आपके जानकारी के लिए बता दे, कि Hindi grammar के अनुसार भाषा के तीन रूप होते हैं :-

  1. मौखिक भाषा ( Oral language )
  2. लिखित भाषा ( Written language )
  3. सांकेतिक भाषा ( Sign language )

इन तीनों भाषाओं के अंदर लोग एक दूसरे से अलग अलग ढंग से बात करते हैं, इन तीनों भाषाओं का परिभाषा और उदाहरण हमने नीचे में Step By Step करके लिखा है, तो आप उन्हें ध्यान से पढ़े और समझे।


1. मौखिक भाषा किसे कहते है ?

मौखिक भाषा किसी से बात करने का वह जरिया होता है, जिसमें हम अपने दिमाग और मन में मौजूद सभी भावनाओं, दुख, दर्द, कठिनाई, समस्या, इत्यादि जैसे लगभग सभी बातों को किसी दूसरे मनुष्य को बोल कर या उस से कह कर के उस के सामने जाहिर करते हैं।

भाषा के इस रूप में वक्ता अपनी बातों को श्रोता से कहता है और श्रोता वक्ता के सभी बातों को अच्छे से समझता है, तो इस भाषा में communication मुख से किया जाता है, और एक दूसरे के बातों को समझा जाता है।

उदाहरण के तौर पर :- मान लीजिए, जब दो व्यक्ति फोन पर बात करते हैं, तब वह अपने मन के अंदर सभी भावनाओं और कठिनाई दुख, दर्द इत्यादि को एक दूसरे से कह कर के बाँटते हैं,और एक दूसरे के बातों को मौखिक भाषा के माध्यम से समझते हैं।


2. लिखित भाषा किसे कहते है ?

लिखित भाषा किसी से Communicate ( संचार ) करने का वह जरिया होता है, जिसमें हम अपने दिमाग और मन में मौजूद सभी भावनाओं, कठिनाई, दुख, दर्द, समस्या, इत्यादि जैसे लगभग सभी बातों को किसी दूसरे मनुष्य के सामने लिख कर के प्रकट करते हैं।

भाषा के इस रूप में एक व्यक्ति अपनी बातों को लिख कर के किसी और व्यक्ति के सामने  प्रस्तुत करता है और दूसरा व्यक्ति उसके लिखे हुए बातों को अच्छे से समझता है, तो इस भाषा में Communication लिखित ढंग से किया जाता है, और एक दूसरे के बातों को और भावनाओं को समझा जाता है।

उदाहरण के तौर पर :- आपने देखा होगा, कि कोई व्यक्ति अपने प्रेमिका के पास Letter लिखता है और उस Letter में अपने मन के अंदर के सभी विचार भावनाओं को उस Letter मे लिख देता है और जब वह Letter उसके प्रेमिका के पास पहुँचता है।

तो उसके प्रेमिका उस Letter को पढ़कर के उस व्यक्ति के मन में चल रहे विचार भावनाओं को अच्छे से समझ जाति है, तो कुछ इस प्रकार से ही लिखित भाषा होती है।


3. सांकेतिक भाषा किसे कहते है ?

सांकेतिक भाषा किसी से Communicate ( संचार ) करने का वह माध्यम होता है, जिस में हम अपने दिमाग और मन में मौजूद सभी भावनाओं, कठिनाई, दुख, दर्द, समस्या, इत्यादि जैसे लगभग सभी बातों को किसी दूसरे मनुष्य को संकेत के द्वारा समझाने की कोसिस करते है, उसे ही सांकेतिक भाषा कहा जाता है।

उदाहरण के तौर पर :- आपने देखा होगा, कि जब ट्रैफिक पुलिस चौराहे पर खड़े होकर के लोगों को हाथों के इशारे से समझाने की कोशिश करती है, कि किधर जाना है या किधर नहीं जाना है और लोग उसके हाथों के इशारे से समझ भी जाते हैं, तो इसी को हम सांकेतिक भाषा कहते हैं।


मातृभाषा किसे कहते हैं ?

ऊपर हमने जाना, कि Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain, अब हम जानेंगे, कि मातृभाषा किसे कहते हैं ? तो चलिए शुरू करते हैं।

जन्म लेने के बाद कोई भी मनुष्य जब पहली भाषा सीखता है, उसे ही उसकी मातृभाषा कहते हैं।

उदाहरण :-  मान लीजिए, कि मैं एक Haryana का निवासी हूं, और मैं पैदा होने के बाद सबसे पहले Haryanvi सिखा हूं, तो हम यह कह सकते हैं, कि हमारी मातृभाषा Haryanvi है।


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Conclusion, निष्कर्ष

उम्मीद करता हूं, कि आपको मेरा यह लेख ( Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain ) बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से भाषा से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त कर चुके होंगे।

हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आपको भाषा से जुड़ी जानकारी देने की कोशिश की है।

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