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Surdas Ka Janm Kab Hua Tha

सूरदास का जन्म कब और कहां हुआ था ? – Surdas Ka Janm Kab Hua Tha

by Pritam Yadav

Surdas Ka Janm Kab Hua Tha :- हिंदी साहित्य में आपने कवि सूरदास जी की रचनाओं को जरूर पढ़ा होगा, भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपार प्रेम रखने वाले कवि सूरदास जी बचपन से ( सूर ) अंधे थे, लेकिन फिर भी हिंदी के भक्ति रस में इनकी रचनाओं को आज भी याद किया जाता है।

आज का यह लेख इनके जीवनकाल से जुडी कई खास जानकारियों को आप तक पहुँचायेगा, इसके लेख के अंतर्गत आप Surdas Ka Janm Kab Hua Tha इस प्रश्न का सटीक जवाब जान सकेंगे, तो चलिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते है।


सूरदास का जन्म कब और कहां हुआ था ? – Surdas Ka Janm Kab Hua Tha

महान कवि सूरदास जी के जन्म से जुडी जानकारियों में कई प्रकार के मतभेद है, कुछ विद्वान इनका जन्म सन 1478 ग्राम साही के आस पास का बताते है, जोकि फरीदाबाद हरियाणा में स्थित है।

जबकि कुछ विद्वानों का कहना है, कि इनका जन्म सन 1483 ग्राम रुनकता जोकि आगरा और मथुरा के बीच में स्थित है में हुआ।

Surdas ka janm पंडित रामदास के यहाँ हुआ, जोकि भजन कीर्तन और गायकी का काम करते थे, और इनकी माता जमुनादास श्री कृष्ण के प्रति गहरी आस्था रखती थी, इसलिए इनके घर का वतावरण काफी भक्तिमय रहता था और इसी भक्ति भाव में इनका पालन पोषण किया गया।

शिक्षा :-

सूरदास जी को श्री कृष्ण की भक्ति करना काफी पसंद था, इसलिए वो नदी किनारे बैठ कृष्ण भजनो का श्रवण करते और उनका गायन करते थे एक बार एक व्यक्ति ने इन्हे मथुरा जाने के लिए प्रेरित किया, उसके बाद सूरदास जी ने बचपन में ही घर को छोड़कर मथुरा में जाकर रहने के निश्चय कर लिया।

मथुरा आकर Surdas ji की मुलाकात आचार्य वल्लभ जी से हुई और सूरदास जी ने इन्हे ही अपना गुरु बनाकर कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति भाव को जारी रखा।

विवाह :-

सूरदास जी का विवाह रत्नावली नाम की एक स्त्री के साथ हुआ था और ऐसा कहा जाता हैं, कि भक्ति में लिप्त सूरदास जी संसार के इन मोह माया बंधनो से मुक्त होकर मथुरा में आकर अपना जीवन व्यतीत करते थे, अपनी भक्ति के द्वारा श्री कृष्ण जी का गुणगान करते थे।


सूरदास जी की मृत्यु

महान कवि Surdas ki mrityu सन 1583 ईस्वी में गोवर्धन के पास परसौली गांव में हो गयी थी।


सूरदास जी की रचनायें

हिंदी काव्य में सूरदास जी ने करीब सवा लाख पदों की रचना की है इसके अलावा इनके द्वारा लिखे गए ग्रंथो के नाम सूरसागर, सूरसारावली, नल दमयंती, साहित्य लहरी, सूर पच्चीसी, गोवर्धन लीला, पद संग्रह, नाग लीला।

सूरदास जी ने अपनी रचनाओ में श्री कृष्ण जी की समस्त लीलाओ को काफी सुंदरता के साथ व्याख्यान किया है।

रचनाओं की भाषा  – सूरदास जी की समस्त काव्य रचना में मुक्तक शैली का प्रयोग किया है, साथ ही साथ उन्होनें अपनी रचनाओं में ब्रजभाषा का प्रयोग किया है इनकी सभी रचनाओं और पद में माधुर्य गुण की प्रधानता है।


हिंदी काव्य में सूरदास जी की विशेषता

हिंदी काव्य में Surdas  जी का नाम सर्वश्रेष्ठ कवियों में लिया जाता है, हिंदी के प्रमुख लेखक डॉक्टर हजारी प्रसाद द्रिवेदी जी ने सूरदास जी की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा, कि इनकी रचनाओं में अलंकार को इतनी सुंदरता के साथ प्रयोग किया गया है, जिसे पढ़ने के बाद मनुष्य की आत्मा पूरी तरह भगवान श्री कृष्ण के भकित में विभोर हो जाये।

सूरदास जी की रचनाओ में केवल शब्द ही नहीं बल्कि श्री कृष्ण जीवन की लीलाओं का चित्रण भी काफी सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है।


Surdas Ke Dohe

ऊपर हमने Surdas Ka Janm Kab Hua Tha के बारे में जाना, अब हम Surdas Ke Dohe के बारे में जानते है।

बचपन से आपने इस दोहे को जरूर गीतों के माध्यम से सुना होगा आज हम आपको इस दोहे को भाव सहित समझने का प्रयास करते है।

1. मैया मोहि मै नहीं माखन खायो।

भोर भय गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो।।

अर्थ – सूरदास जी के अनुसार इन पंक्तियों का अर्थ यह है, कि जब माता यशोदा जी को मटकी में माखन नहीं मिला, तो वो अपने लाला से पूछती है, कि कृष्ण तुमने माखन खाया है न, इस पर श्री कृष्ण जी अपनी माता को बोलते है मैया मैंने माखन नहीं खाया आप सुबह होते ही मुझे गाय चराने के लिए भेज देती है और वापस आते आते मुझे शाम हो जाती है ऐसे में मै कैसे माखन खा सकता हूँ।

इसके अलावा Surdas जी की कई रचनायें प्रसिद्ध है जोकि इस प्रकार है।

2. सुनह कान्ह बलभद्र चबई, जनमत ही को धूत।

सूर स्याम मोहि गोधन की सौ, हौ माता तो पूत।।

3. अबिगत गति कछु कहत आवै।

ज्यो गूंगो मीठ फल की रस अंतर्गत ही भावै।।


FAQ’S :-

प्रश्न 1 – Surdas ka janm kab hua tha ?

उत्तर - सूरदास जी का जन्म सन 1478 ग्राम साही के आस पास का बताते है, जोकि 
फरीदाबाद हरियाणा में स्थित है, जबकि कुछ विद्वानों का कहना है, कि इनका जन्म 
सन 1483 ग्राम रुनकता में हुआ यह स्थान आगरा और मथुरा के बीच स्थित है।

प्रश्न 2सूरदास जी के मातापिता का नाम क्या था ?

उत्तर - सूरदास जी के पिता जी का नाम पंडित रामदास और माता जी नाम जमुनादास था।

प्रश्न 3सूरदास जी के गुरु कौन थे ?

उत्तर - जब श्री कृष्ण जी की भक्ति में विभोर होकर सूरदास जी मथुरा आये तो उनकी 
मुलाकात आचार्य वल्लभ जी से हुई, आचार्य Surdas जी की भक्ति देखकर इन्हे अपना 
शिष्य बना लिया और इसके बाद सूरदास जी ने इन्ही की छत्रचाया में भक्तिरस की कई 
रचनाओं को रचा।   

प्रश्न 4सूरदास जी का विवाह किससे हुआ ?

उत्तर - सूरदास जी का विवाह रत्नावली नाम की एक स्त्री के साथ हुआ, लेकिन कुछ विद्वानों का ऐसा 
मानना है, कि सूरदास जी ने सदैव वैराग्य का जीवन व्यतीत किया है।

प्रश्न 5सूरदास जी की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर - सूरदास जी की मृत्यु सन 1583 ईस्वी में गोवर्धन के पास परसौली गांव में हुआ था।

निष्कर्ष :-

यह लेख आपको Surdas ka janm kab hua tha इस जानकारी को देने में काफी उपयोगी साबित हुआ होगा, साथ ही साथ यहाँ आपने सूरदास जी की कुछ प्रमुख रचनाओं के बारे में भी जाना, हम उम्मीद करते है, कि इस लेख के माध्यम से आपको सूरदास जी के जीवन से जुडी कई विशेष जानकारियों को प्राप्त करने में मदद मिली होगी और आप चाहे तो इस लेख को अपने दोस्तों और करीबियों में शेयर करके उन्हें इस खास जानकारी से अवगत करा सकते है। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।


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