Bihar Ki Rajdhani Kahan Hai :- बिहार देश की तपोस्थली, ज्ञानस्थली या गणराज्यों के उदय की नगरी रही है। बिहार को देव भूमि भी माना गया है, जहां भगवान बुद्ध ने जन्म लिया।
प्राचीन बिहार का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है, जहां अध्यात्म व संस्कृति का बीज बोया गया, जिससे पूरे विश्व में ज्ञान व संस्कृति का प्रसार हुआ। ऐसे महान राज्य बिहार की राजधानी कहाँ है ? इसे जानना उस महान संस्कृति से जुड़ने के बराबर है।
आज के इस आर्टिकल में हम गंगा नदी घाटी में स्थित बिहार राज्य की राजधानी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और साथ ही यह भी जानने का प्रयास करेंगे, कि बिहार की राजधानी कहाँ है ? और इसका गौरवमय इतिहास क्या है। इसी भूमि से उदय हुई गणराज्य की परिकल्पना को समझने का प्रयास करेंगे।
बिहार की राजधानी कहाँ है ? | Bihar Ki Rajdhani Kahan Hai
बिहार की राजधानी पटना है, बिहार सांस्कृतिक सूचना का केंद्र है, जहाँ से ज्ञानरूपी प्रकाश पूरे विश्व में फैला है।
वैसे तो पटना बिहार राज्य की राजधानी के साथ एक जिला केंद्र भी है और देखा जाए, तो यह बिहार का सबसे बड़ा शहर भी है।
पटना बिहार सरकार का प्रशासनिक केंद्र है, जहाँ से सरकार अपना संचालन करती है। वैसे तो पटना के अन्य प्राचीन नाम भी है जिनमें पाटलिपुत्र, पुष्पपूरी और कुसुमपुर प्रमुख है।
पटना के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य अति प्राचीन है। मेगास्थनीज जो यूनान का राजदूत व इतिहासकार हैं, उन्हें सिकंदर के सेनापति सेल्युकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सन्धि के लिए भेजा था, जिस पर मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में पटना नगर का उल्लेख उन्होंने किया है और अपनी पुस्तक में पाटलिपुत्र का नाम पलिबोथरा लिखा है।
पटना का इतिहास
हर्यक वंश के महान राजा अजातशत्रु का भयंकर युध्द छिड़ गया, लिच्छिविय वंश के राजाओं से तब अजात शत्रु की राजधानी राजगीर हुआ करती थी, उन्होंने गंगा और सोन नदी के दोआब को ज्यादा उपर्युक्त पाया, इसलिए उन्होंने अपनी राजधानी राजगीर से पाटलिपुत्र में स्थापित किया क्योंकि पाटलिपुत्र गंगा-सोन दोआब में स्थित थी।
इस नगर का इतिहास 2500 वर्षों से अधिक पुरातन है, इसका पता हमें बौद्ध ग्रन्थों से चलता है, जिसमें भगवान बुद्ध के बारे में बताया गया है, कि भगवान बुद्ध अपने जीवन के अंतिम के दिनों में इस नगर में रुके थे और भगवान बुद्ध ने इस नगर के बारे में कहा था, कि यह नगर महान लोगों की कर्मभूमि रहेगी और इस नगर का विकाश बहुत तेजी से होगा, लेकिन यहां बाढ़ का खतरा बना रहेगा, भगवान बुद्ध की भविष्यवाणी आज भी सही प्रतीत होती है।
महाजनपदों के उदय के शुरुआत में सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रुप में यह सामने आया और महान नंद वंशीय शासकों ने इसका खूब विकाश किया।
मौर्य साम्राज्य के उदय के कारण पाटलिपुत्र सत्ता का केंद्र बन गया। चन्द्रगुप्त ने इसका विस्तार बंगाल की खाड़ी से अफगानिस्तान तक कर दिया।
मौर्य साम्राज्य के प्रारम्भ में अधिकांश महल लकड़ियों से निर्मित थे, जिसे बाद में अशोक ने शिलाओं से पुर्निर्मित करवाया । फाह्यान ने पत्थरों से निर्मित इन भवनों का वर्णन अपने यात्रा वृतांत में किया है।
मौर्यों के पतन के बाद अनेक राजवंशों ने यहां शासन किया और फिर गुप्त वंश के समय पाटलिपुत्र का महत्व और भी बढ़ा और यह पूरे मध्य एशिया का बहुत शक्तिशाली राजनीतिक केंद्र बन गया।
गुप्त वंश के पतन के साथ ही इस नगर पर अनेक आक्रमण हुए जिसमें बख्तियार खिलजी ने पूरे नगर को नष्ट कर दिया और यहां के नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
मुगल काल में पटना को शेरशाह सूरी ने पुनर्जीवित किया। यहां शेरशाह के द्वारा बनवाया गया मस्जिद आज भी विद्यमान है।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका रही और यहां 1917 में चम्पारण आंदोलन गांधी जी के नेतृत्व 8में यही से प्रारम्भ हुआ।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी पटना ने अग्रणी भूमिका निभाई। आज़ादी के बाद से सन 2000 में बिहार से झारखंड के अलग हो जाने तक बिहार की राजधानी पटना बनी रही।
पटना का नामकरण
कुछ इतिहासकारों का मानना है, की पटना का नामकरण हिन्दू देवी पटन के नाम पर रखा गया है। कुछ अन्य विद्वानों का मत है, कि पटना पटट्न का अपभ्रंश है, जिसका संस्कृत में अर्थ बन्दरगाह होता है।
मौर्य काल में मेगास्थनीज जब मगध सन्धि के लिए आये थे, तब उन्होंने पटना को पलिबोथरा कहा है, साथ ही चीनी यात्री फाह्यान ने पटना को अपनी पुस्तक सीयूकी में पालिनफू लिखा है।
वर्तमान पटना नामकरण शेरशाह सूरी के शासन के समय में हुआ है, ऐसा अधिकतर इतिहासकारों का मानना है की शेरशाह सूरी के समय में पटना के नाम पैठना था, जिसे अंतिम हिन्दू शासक हेमचन्द्र ने नाम पटना कर दिया।
पटना के नामकरण को लेकर कुछ अन्य मत प्रचलित है, जिनमें एक मत यह है, कि इन क्षेत्रों में पाटली के फूल की खेती बड़ी मात्रा में कई जाती थी और इस फूल से इत्र व दवाइयाँ बनाई जाती थी और इसका व्यापार बहुत प्रचलित था इसलिए इसका नाम पाटलिग्राम पड़ा।
पाटलिपुत्र के नाम से संबंधित कुछ कि वदन्तियां भी प्रचलित है, जिसके अनुसार राजा पत्रक ने अपनी रानी पाटली के लिए एक बहुत सुंदर नगर का निर्माण करवाया जिसका नाम पाटलिग्राम पड़ा।
जब रानी पाटली का पुत्र हुआ, तो राजा पत्रक ने इस नगर का नाम पाटलिपुत्र रख दिया और इसलिए राजा पत्रक को पटना नगर का जनक कहा जाता है।
पटना के प्रमुख पर्यटन स्थल
ऊपर हमने Bihar Ki Rajdhani Kahan Hai के बारे में बताया, अब हम पटना के प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जानते है।
भारत के पर्यटन मानचित्र में पटना का स्थान प्रमुख है क्योंकि यह गौतम बुद्ध, आचार्य चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक की कर्मभूमि रही जिनका इतिहास आज भी पटना नगर में दिखाई देता है, जहां अशोक के शिलालेख से लेकर बौध्द विहारों तक आज भी अपनी प्राचीनता समेटे हुए है।
गुप्त वंश के समय में किये गए स्थापत्य आज भी पटना के पर्यटन स्थल को प्राचीनतम नगरी के रुप में स्थापित करते हैं।
1. अगम कुँआ
मौर्यकालीन यह कुँआ सम्राट अशोक के समय की है, जो आज भी पटना में स्थित है। इस कुँआ के पास ही एक मंदिर है, जहां विवाह की क्रिया सम्पन्न की जाती है।
2. पटना संग्रहालय या जादू घर
यह बिहार राज्य का राजकीय संग्रहालय है, इसकी स्थापना 1917 में अंग्रेजों ने ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण के लिए बनाया था। यहां जितने पुरातात्विक संग्रह थे, उन्हें बिहार संग्रहालय स्थानांतरित कर दिया गया है।
3. क़िला हाउस ( जालान हाउस )
इस भवन का निर्माण राधाकृष्ण जालान द्वारा शेरशाह सूरी के किले के अवशेषों द्वारा किया गया है, जो हीरे जवाहरात और चीनी वस्तुओं का निजी संग्रहालय है।
4. तख्त श्रीहरमंदिर साहेब
सिख धर्म के मानने वालों के लिए यह किसी तपोस्थली से कम नही है, क्योंकि पटना सिखों के दसवें गुरु- गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली है।
जब तेगबहादुर जी पटना में थे, तब गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने बचपन के कुछ वर्ष यहां बिताए। यहां के गुरूद्वारे में गुरु गोविंद सिंह जी के बचपन का तलवार, पादुका, तीर और हुक्मनामा संरक्षित है।
5. गाँधी संग्रहालय
यहां गांधी जी से जुड़ी सभी चीजों को सम्हाल कर सुरक्षित रखा गया है।
6. गंगा नदी
7. आनन्द सिस्ता मंदिर
8. सभ्यता द्वार
9. शहीद स्मारक
10. कुम्हरार महावीर मन्दिर , Etc
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निष्कर्ष :
आज के इस लेख में Bihar Ki Rajdhani Kahan Hai इसको हमने विस्तार पूर्वक देखा है।
उम्मीद करते हैं, की आज की यह जानकारी आपको पसन्द आयी होगी। यदि अभी भी आपके मन में इससे जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट या मेल कर सकते हैं।
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