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Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki

Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki – महाभारत की रचना किसने की थी ?

by Pritam Yadav

Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki :- आज का हमारा यह लेख हर किसी धार्मिक पाठक के लिए इंटरेस्टिंग होने वाला है, क्योंकि आज इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं, कि महाभारत की रचना किसने की थी ?

मैंने “ धार्मिक पाठक ” शब्द का प्रयोग इस लिए किया है, क्योंकि हमारे भारत में ज्यादातर धार्मिक प्रवृत्ति के लोग है, जो अपने धार्मिक ग्रंथों को बहुत अधिक मानते हैं।

तो चलिए आज इस लेख में हमारे धार्मिक व साहित्यक ग्रंथ महाभारत के बारे में जानते हैं।


महाभारत क्या है ? | Mahabharat Kya Hai ?

महाभारत, भारत का एक धार्मिक काव्य ग्रंथ है, जिसमें कौरवों और पांडवों के बीच चले युद्ध का वृतांत है। इसका पुराना नाम जय संहिता है और इसे भारत के नाम से भी जाना जाता है।

महाभारत, भारत का पौराणिक, ऐतिहासिक, दार्शनिक और धार्मिक ग्रंथ है। यह ग्रंथ काव्य रूप में लिखा गया है। महाभारत, विश्व का सबसे लंबा ग्रंथ है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इसमें 18 अध्याय और 110,000 श्लोक लिखे गए है।


महाभारत की रचना किसने की ? | Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki

महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की है। इसकी रचना में 3 वर्ष का समय लग गया था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह महाकाव्य 3 वर्षों तक दिन रात लगातार बिना रुके लिखकर पूरा हुआ है।

इस बात का प्रमाण महाभारत के श्लोक क्रमांक 62 से 83 में मिलता है, कि महाभारत की रचना स्वयं वेदव्यास जी ने की थी। इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है। महाभारत लगभग 4000 ईसा पूर्व से पहले लिखा गया है।

महर्षि वेदव्यास पांडवो और कौरवों के दादाजी थे, इसीलिए उन्हें संपूर्ण महाभारत की घटना का पता था, जिसे उन्होंने काव्य रूप में लिखकर महाभारत की रचना की है।

ऐसा माना जाता है, कि महाभारत बद्रीनाथ क्षेत्र के पास मौजूद एक गुफा में लिखा गया था। महाभारत विश्व का सबसे लंबा धार्मिक व साहित्य ग्रंथ है।


महाभारत कब और क्यों हुआ ?

शोधकर्ता बताते हैं कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3064 ईसा पूर्व हुआ था। यह पांडवों और कौरवों के बीच लड़ा गया था।

महाभारत का युद्ध क्यों हुआ था, इसके लिए कुछ कारण बताए गए हैं। कहते हैं, कि इस युद्ध को लड़े जाने का प्रमुख कारण कुरुक्षेत्र में कुरु साम्राज्य का सिहासन पाना था। वैसे युद्ध लड़े जाने के अन्य और भी कारण कहे जाते हैं।

एक कारण यह कहा जाता है, कि यदि कौरव और पांडव जुआ नहीं खेलते, तो यह युद्ध नहीं होता।

युद्ध होने का तीसरा कारण यह बताया जाता है, कि यदि जुआ खेलते समय पांडव, द्रौपदी को दाँव पर नहीं लगाते, तो यह युद्ध टल जाता और इसका चौथा व अंतिम कारण यह बताया जाता है, कि यदि द्रौपदी दुर्योधन को “ अंधे का पुत्र अंधा ” नहीं कहती, तो उसका चीरहरण नहीं होता और युद्ध भी नही होता।


महाभारत का युद्ध कहां पर हुआ था ?

महाभारत का युद्ध हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र में हुआ था और यह रणभूमि क्षेत्र यानी कुरुक्षेत्र, श्री कृष्ण के द्वारा चुना गया था। धर्म का साथ देने वाले पांडव और अधर्म का साथ देने वाले कौरवों के बीच युद्ध, अपने अधिकारों के लिए लड़ा गया था।

महाभारत की रचना के अनुसार, यह युद्ध शुक्ल 14 से शुरू हुआ था, जो लगातार 18 दिनों तक चला था। इसमें लगभग एक अरब 66 करोड 20 हजार वीर मारे गए थे और 24165 वीरों का कोई पता नहीं है।

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था, इस बात के सबूत पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को मिले हैं। शोधकर्ताओं ने बताया, कि कुरुक्षेत्र की भूमि से उन्हें तीर और भाले मिले हैं, जो लगभग 4000 वर्ष पुराने हैं।


महाभारत की रचना की कहानी

महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी हैं, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को सिर्फ बोला था और महाभारत को गणेश जी के द्वारा लिखा गया है।

जी हां, महाभारत के लेखक गणेश जी है। महाभारत में कुल 18 अध्याय हैं और श्लोक की संख्या 110,000 हैं।

महर्षि वेदव्यास, इस महाकाव्य की रचना के समय एक ऐसे लेखक को खोज रहे थे, जो उनके विचारों को बाधित ना करें और लगातार लिखते रहें, जिसके लिए उन्होंने शिव पार्वती के पुत्र गणेश जी से आग्रह किया, कि वह उनके महाकाव्य के लेखक बने।

गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास जी, के आग्रह को स्वीकार किया, परंतु गणेश जी ने वेदव्यास जी के सामने एक शर्त रखी।

गणेश जी ने शर्त मे कहा, कि महर्षि वेदव्यास जी कथा वाचन में विश्राम नहीं लेंगे, यदि उन्होंने एक भी क्षण का विश्राम लिया तो वह लिखना छोड़ देंगे।

महर्षि व्यास ने गणेश जी की शर्त को स्वीकार किया और अधिक गति से बोलना प्रारंभ किया और उतनी ही अधिक गति से गणेश जी ने महाकाव्य को लिखा।

गणेश जी यह महाकाव्य मोरपंख द्वारा लिख रहे थे, परंतु उनके लिखने की गति इतनी तेज थी, कि मोर पंख टूट गया। इस कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने एक दांत को तोड़ दिया था और दांत के द्वारा इस ग्रन्थ को पूरा लिखा था। तब से गणेश जी को एकदंत भी कहा जाता है।


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निष्कर्ष :-

दोस्तों, आज के इस लेख में हमने जाना है, कि Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki. इस लेख के माध्यम से आपने एक धार्मिक ग्रन्थ के बारे में जानकारी प्राप्त की।

यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो इस लेख को अपने दोस्तों और फैमिली के साथ जरूर share करें। यदि इस लेख से जुड़े कोई भी प्रश्न आपके मन में है तो हमे कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।

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