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Anupras Alankar

अनुप्रास अलंकार – Anupras Alankar की परिभाषा, भेद और उदाहरण

by Pritam Yadav

Anupras Alankar :- हम लोगों को शुरू से ही स्कूलों में हिंदी, English जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं, इन विषयों के साथ साथ हमें English grammar तथा हिंदी व्याकरण भी पढ़ाया जाता है।

आप सोच रहे होंगे कि हम इस विषय में क्यों बात कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें, कि आज के इस लेख में हम हिंदी व्याकरण से जुड़े Anupras Alankar के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।

आज के इस लेख की सहायता से हम आपको Anupras alankar क्या होता है, इसके कितने भाग होते हैं एवं इसके उदाहरण साथ-साथ अनुप्रास अलंकार के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं और यदि आप अनुप्रास अलंकार से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें, जिससे कि आपको Anupras Alankar में जानकारी प्राप्त हो सके।


 अलंकार ( Alankar ) क्या होता है ?

अनुप्रास अलंकार के बारे में बताने से पूर्व हम आपको यह बता देना चाहते हैं, कि आखिरकार अलंकार क्या होता है,अलंकार का शाब्दिक अर्थ अलंकृत करने वाला होता है, इसे हम संस्कृत की भाषा मेंअलंकरोती इति अलंकरः कह सकते हैं इसका अर्थ यह हुआ कि जो विभूषित करता है उसे ही हम अलंकार कहते हैं।

जिस तरीके से आभूषण एवं कपड़े हमारे शरीर की शोभा को बढ़ा देती हैं, ठीक उसी प्रकार अलंकार भी भाषा की सुंदरता अर्थात भाषा के सौंदर्य को बढ़ा देती है और उसका उत्कर्ष बढ़ जाता है, दूसरे शब्दों में या आसान शब्द में हमें यह कह सकते हैं कि काव्य की शोभा बढ़ाने वाले अंगों को हम अलंकार कहते हैं।


अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं ? – Anupras Alankar

जब किसी काव्य यह वाक्य सुंदरता बढ़ाने के लिए किसी एक शब्द या वर्ड की आवृत्ति बार-बार हो, अर्थात वाक्य में कोई शब्द बार-बार आए, तो वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है, किसी वाक्य में किसी विशेष शब्द की बार-बार आवृत्ति करने से वाक्य की सुंदरता बढ़ जाती है और वह सुनने में भी अच्छा लगता है।

दूसरे शब्द में हम यह कह सकते हैं कि किसी काव्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए जब भी किसी शब्द का प्रयोग बार बार किया जाता है तब वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।


अनुप्रास अलंकार के उदाहरण – Anupras Alankar Example

अनुप्रास अलंकार के कुछ उदाहरण हमारे द्वारा बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

  • रघुपति राघव राजा राम।

पतित पावन सीताराम।।

  • तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
  • बरसत बारिद बूंद गहि।
  • मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजाला।
  • कालिंदी कूल कदंब की डरनी।
  • कल कानन कुंडल मोरपखा, उर पा बरमाल विराजती है।
  • कंकड़ किंकीड नूपुर धुनि सुनि।
  • चारुचंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में।
  • कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी।
  • रावनु रथी विरथ रघुवीरा।

अनुप्रास अलंकार के प्रकार – Anupras Alankar Ke Prakar

अनुप्रास अलंकार के कुछ पांच प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है:-

  • छेकानुप्रास
  • वृत्यनुनुप्रास
  • श्रुत्यनुप्रास
  • लाटानुप्रास
  • अंत्त्यानुप्रास

1. छेकानुप्रास

जहां पर किसी वाक्य की शोभा बढ़ाने के लिए किसी शब्द की पुनरावृति क्रम में होती है, वहां पर छेकानुप्रास होता है।

उदाहरण:- जैसे जाना निकट प्रिय के चुंबी ग्रहों में।

स्पष्टीकरण:- ऊपर बताए के उदाहरण में आप लोगों ने देखा कि शब्द की पुनरावृति एक क्रम में हुई है जिसके कारण से यह स्पष्ट है कि यहां छेकानुप्रास पर है।

2. वृत्यनुनुप्रास

जहां पर एक ही वर्ण की पुनरावृति कर्म से ही किंतु अनेक बार हो वहां पर वृत्यनुनुप्रास होता है।

उदाहरण: –भूरीभूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया।

स्पष्टीकरण: –ऊपर बताए गए उदाहरण में आप लोगों ने देखा कि यहां पर वर्ण की आवृति कई बार हुई है, जिससे कि यह स्पष्ट है कि यहां पर वृत्यनुनुप्रास है।

3. श्रुत्यनुप्रास

यदि किसी काव्य या वाक्य में किसी ऐसे शब्द का उपयोग बार-बार हो, जो मुंह की एक ही स्थान से उच्चारित होते हैं अर्थात उनका उच्चारण स्थान एक ही होता है, वहां पर श्रुत्यनुप्रास होता है।

उदाहरण:-तुलसीदास सीदती निसिदिन देखत तुम्हार निठुराई।

स्पष्टीकरण:-ऊपर बताए गए उदाहरण में दंत व्यंजनों की आवृत्ति कई बार हुई है, जिससे यह स्पष्ट है कि यहां पर श्रुत्यनुप्रास अलंकार है।

4. लाटानुप्रास

जहां पर किसी काव्य में किसी शब्द या वाक्यांश की आवृत्ति होती है किंतु अन्वय करने के कारण से उसका अर्थ बदल जाता है, तब वहां पर लाटानुप्रास होता है।

उदाहरण:-

पूत सपूत तो का धन संचै।

पूत कपूत तो का धन संचै।

स्पष्टीकरण: –ऊपर बताए गए उदाहरण में आप लोगों ने पढ़ा की पुत्र यदि सपूत है तो हमें धन संचय करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है वह स्वयं ही कमा लेता है, परंतु उसी के नीचे वाले वाक्य में आप लोगों ने पढ़ा है कि यदि पुत्र का पुत्र है तो भी धन संचय की कोई जरूरत नहीं है वह सारे धन को बर्बाद कर देता है, अर्थात यहां पर लाटानुप्रास है।

5. अंत्त्यानुप्रास

तुकांत छंदों में जहां पंक्ति के अंतिम में तुक ऊपर वाली पंक्ति से मिलाई जाती है, वहां पर अंत्त्यानुप्रास होता है।

उदाहरण:-

रामराम कहु राम स्नेही।

पुनि कहु राम लखन वैदेही।।

 स्पष्टीकरण:-ऊपर बताए गए उदाहरण में आप लोगों ने देखा कि यहां पर स्नेही की अचूक वैदेही से की गई है अर्थात मिलाई गई है जिससे यह स्पष्ट है, कि यहां पर अंत्त्यानुप्रास अलंकार है।


FAQ’S :-

Q1. अलंकार किसे कहते हैं ?

Ans :- किसी काव्य की शोभा बढ़ाने वाले अंगों को अलंकार कहते हैं।

Q2. अलंकार कितने प्रकार का होता है ?

Ans :- अलंकार दो प्रकार का होता है:- 1. शब्दालंकार 2. अर्थालंकार

Q3. अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं ? – Anupras Alankar

Ans :- जब किसी कार्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए किसी भी शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार 
की जाती है, तब वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।

Q4. रघुपति राघव राजा राम में कौन सा अलंकार है ?

Ans :- रघुपति राघव राजाराम में अंत्त्यानुप्रास अलंकार है।

Q5. अनुप्रास अलंकार कितने प्रकार का होता है ?

Ans :- अनुप्रास अलंकार पांच प्रकार का होता है।

Q6. अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण दीजिए ?

Ans :- रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम

Q7. अंत्त्यानुप्रास का उदाहरण दीजिए ?

Ans :- रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम

Q8. अनुप्रास अलंकार के सभी प्रकारों का नाम ?

Ans :- अनुप्रास अलंकार के प्रकारों के नाम निम्नलिखित हैं :- 1. छेकानुप्रास 2. वृत्यनुनुप्रास 3. श्रुत्यनुप्रास 
4. लाटानुप्रास 5. अंत्त्यानुप्रास

निष्कर्ष :-

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख के इसके माध्यम से आपको Anupras Alankar के साथ-साथ अलंकार के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी और यदि आपको हमारा लिखा गया यार थोड़ा सा भी पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ अवश्य साझा करें और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई भी सवाल या सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स का प्रयोग करना ना भूले।


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