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Fajar ki namaz

फजर की नमाज का तरीका हिंदी में | Fajar ki namaz

by Pritam Yadav

Fajar ki namaz :- वैसे तो दिन भर में पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाती है। लेकिन फजर की नमाज़ को दिन की शुरुआत में अर्थात सबसे पहले पढ़ा जाता है।

एक तरह से इस नमाज को पढ़ने के बाद ही दिन की शुरुआत होती है। वह बच्चे जो अभी-अभी नमाज पढ़ना सीख रहे हैं उनके मन में नमाज़ के बारे मे प्रश्न खासतौर से रहते है।

तो आइए जानते हैं, कि Fajar ki namaz का तरीका क्या होता है। इसे कैसे अदा किया जाता है।


Fajar ki namaz की रकात

फजर की नमाज़ की चार रकाते होती है। जिसमें से 2 रकात सुन्नत की होती है और 2 रकात फर्ज की होती है। जब भी फज़र की नमाज को पढ़ा जाता है तो पहले 2 रकात सुन्नत की पढ़ी जाती है और फिर फर्ज की रकात पढ़ी जाती है।

पांच वक्त की नमाज में से इस नमाज की रकात सबसे कम है अर्थात फजर की नमाज की रकात सबसे कम व छोटी है।


फजर की नमाज़ की नियत

हर नमाज को करने का एक तरीका होता है और इसी तरीके को नमाज की नियत कहा जाता है।

जब तक नियत नहीं की जाती, तब तक नमाज शुरु नहीं होती। कई तरह की नमाजो में, नमाज की शर्तों के बिना भी, नमाज शुरू नहीं की जाती।

हर नमाज़ की नियत अलग होती है जिसमें नमाज की रकात और नमाज का वक्त शामिल होते हैं। वैसे तो नमाज़ की नियत का बोलना जरूरी नहीं होता, परंतु इसकी रकाते और समय आपके जहन में जरूर होनी चाहिए।


फजर की दो नमाज की रकात सुन्नत नमाज़ की नियत | Fajar ki namaz

जैसा कि इस आर्टिकल में आपको ऊपर बताया गया है कि फजर की नमाज अदा करते वक्त पहले दो सुन्नत को पढ़ा जाता है, जो निम्न प्रकार से है:-

“नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर की सुन्नत वास्ते अल्लाह ताआला के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”


फजर की दो नमाज की रकात फर्ज नमाज़ की नियत

फज्र की नमाज की रकात की नियत निम्न प्रकार से की जाती है:-

“नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर की फर्ज़ वास्ते अल्लाह ताआला के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर”


फजर की दो रकात फर्ज नमाज़ का तरीका | Fajar ki namaz

नमाज को अदा करने से पहले आपको वजू अच्छे बहुत सही तरीके से करना होता है। वजू करने के बाद नमाज पढ़ने के लिए आप खड़े हो जाएं। इसके बाद आपको नियत करनी होती है। जब नियत हो जाए तो उसके बाद आप अपने हाथ बांध ले। इसके बाद आपको सन्ना पढ़ना होता है जो निम्न प्रकार से है:-

सनासुब हानकल लाहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”

जब आप सना पढ़ ले तो उसके बाद सुरह अल फातिहा पढ़े जो निम्न प्रकार से है:-

अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन

अर रहमा निर रहीम

मालिकि यौमिद्दीनइय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन

इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम

सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम

गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन. आमीन

जब आप सूरह फातिहा पढ़ ले, तो उसके बाद आपको कुरान मजीद की कोई बड़ी या छोटी सुरह या आयत को पढ़ना होता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको कुछ छोटी सूरह के बारे में बताने वाले हैं।

सूरह इखलास

कुल हुवल लाहू अहद

अल्लाहुस समद

लम यलिद वलम यूलद

वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

सुरह फील

अलम तरा कैफा फाअला रब्बुका बियस हाबिल फील

अलम यज़अल कै दाहुम फी तजलील

वा अर्सला अलैहिम तैरन अबाबील

तर्मीहिम बिही जारतिम में सिज्जील

फजा अलाहुम का सिफिम माकूल

सुरह नसर

इज़ा जा आ नसरुल्ला ही वल फतह

वरा अयतन्नासा यदखुलूना फी दीनिल ल्लाही अफ़वाजा

फसब्बिह बिहमदी रब्बिका वस्तगफिरहू

इन्नहू काना तौव्वाबा

सूरह कुरैश

लि इलाफि क़ुरैश

इलाफ़िहिम रिहलतश शिताई वस सैफ़

फ़ल यअबुदू रब्बा हाज़ल बैत

अल्लज़ी अत अमाहुम मिन जुआ

व आमना हुम मिन खौफ़

रुकु मे जाए

सूरत को पढ़ने के बाद रुकु मे जाए। आपको रुकु मे जाने का सही तरीका मालूम होना चाहिए। इसमें आपकी पीठ सीधी झुकी होनी चाहिए और शरीर आधा झुका होना चाहिए। रुकु मे आपको तीन बार सबहाना रब्बी यल अजीम पढ़ना है।

जब आप सबहाना रब्बी यल अजीम पढ़ ले, तो आप समीअल्लाहू लेमन हमीदा कहते हुए सीधे खड़े हो जाए और खड़े होने के बाद सीधा सजदे में जाए, जिसमें सबसे पहले आप का घुटना जमीन पर लगना चाहिए और उसके बाद हाथ जमीन पर लगे, फिर आपका माथा और आखिर में आपकी नाक जमीन पर लगे।

सजदे में आपको तीन बार सुबहाना रब्बी यल अजीम पढ़ना है।

आपको तो सजदे करने हैं। सजदा करने के बाद आप दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं और खड़े होकर एक बार कोई सूरह पड़ेंगे और एक बार सूरह फातिहा पड़ेंगे।

इसके बाद आप रुकु मे जाकर, फिर खड़े होंगे और उसके बाद फिर सजदे में जाएंगे। जब आप दो बार सजदा कर लेंगे, फिर आप खड़े नहीं होंगे। तब आप तशहुद में बैठेंगे।

तशहुद मे यह पढ़ेंगे

तशहुद में बैठने के बाद आप सबसे पहले एहतियात को पड़ेंगे जो निम्न प्रकार से है:-

अत् तहिय्यातू लिल्लाही वस्सलवातू वत्तह्यीबात

अस्सलामु अलैका या अय्यूहनबी वरहेमतुल्लाही वबरकातूहू

अस्सलामू अलैना वला इबादीस्साॅलेहीन

अश्हदू अल्लाह इलाहा इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्न मुहम्मदून अब्दुहू व रसूलूहू

तशहुद पढ़ते समय जब अशहदु अल्लाह इलाहा आए तब आपको अपनी शहादत की उंगली को उठा कर छोड़ देना है।

अत्तहियात के बाद दरूद शरीफ को पढ़ना जरूरी होता है जो निम्न प्रकार से है:-

अल्लाहुम्मा सल्ले अला

मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन

कमा सललेता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद

अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिवव अला आलि मुहम्मदिन

कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद

दरूदे पाक पढ़ने के बाद आपको दुआ ए मासुरा पढ़ना होता है, जो निम्न प्रकार से है:-

दुआ ए मासुरा 

अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम.

दुआ ए मसुरा पढ़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें.

अब आप अल्लाह से दुआ मांगे।


फजर की की रकात सुन्नत नमाज़ कैसे करें?

Fajar ki namaz करने का तरीका और सुन्नत नमाज़ का तरीका एक जैसा ही होता है, इसमें केवल आपको नियत अलग करनी पड़ती है।


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निष्कर्ष :

दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आपने जाना की Fajar ki namaz कैसे पढ़ी जाती है।

आशा करते हैं, कि आप को इस लेख Fajar ki namaz मे दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में है या कोई सुझाव आप हमें देना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर के दे सकते हैं।


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