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Pratyay Kise Kahate Hain

प्रत्यय किसे कहते हैं ? – परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण – Pratyay Kise Kahate Hain

by Pritam Yadav

Pratyay Kise Kahate Hain :- आज के इस लेख में हम आपको प्रत्यय किसे कहते हैं ? इसके बारे में जानकारी देने वाले है।

आप सभी लोगो ने प्रत्यय शब्द तो बहुत बार सुना होगा, क्योंकि इस शब्द का उपयोग कई बार कई लोगो द्वारा किया जाता है, परंतु बहुत कम लोग ऐसे है जिन्हें पता है कि प्रत्यय किसे कहते है।

यदि आप भी एक ऐसे व्यक्ति है जिसे नही पता कि प्रत्यय किसे कहते है, तो कोई बात नही क्योंकि इस लेख में आपको Pratyay के बारे में विस्तार से जानकारी मिल जाएगी। तो चलिए सबसे पहले हम आपको Pratyay Kise Kahate Hain Ke Bare Me Batate hai.


प्रत्यय की परिभाषा क्या है ? – Pratyay Kise Kahate Hain

कुछ ऐसे शब्द होते है, जो किसी अन्य शब्द के अंत मे जुड़कर उस शब्द के अर्थ में विशेषताएं लाते है। ऐसे ही शब्दों को प्रत्यय कहा जाता है। तो आप सीधे सीधे यह भी कह सकते है, कि प्रत्यय अपना खुद का कोई अर्थ नही होता है।

चलिए नीचे हम आपको कुछ उदाहरण देकर समझाते है ताकि आपको अच्छे से समझ आ सके।

उदाहरण :-

समाज + इक = सामाजिक

नाटक + कार = नाटककार

तैर + आक = तैराक

प्रत्यय शब्दों का खुद का कोई भी अस्तित्व नही होता है, सभी प्रत्यय शब्द किसी दूसरे शब्दों के अंत मे जुड़कर उस शब्द को सार्थक बनाते है।

प्रत्यय यह हर बार किसी अलग शब्द के अंत मे ही जुड़ता है, अन्यथा प्रत्यय शब्द का स्वयं का कोई भी अर्थ नही होता है। चलिए नीचे हम आपको प्रत्यय की साहित्यिक परिभाषा और शाब्दिक अर्थ क्या होता है यह बताते है।


प्रत्यय की साहित्यिक परिभाषा क्या है ?

प्रत्यय की साहित्यिक परिभाषा सरल में बताये तो यह वह शब्द होते है जो किसी भी अन्य शब्द के अंत मे जुड़कर उनके अर्थ को ही बदल देते है। और फिर यह प्रत्यय एक नए शब्द की रचना करते है।

तो अब आप प्रत्यय की साहित्यिक परिभाषा जान चुके है। चलिए अब प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ बताते है।


 प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ क्या है ? – Pratyay Kise Kahate Hain

प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ है, दो शब्दों से मिलकर बनने वाला, जैसे कि प्रति + अय (पीछे + आना) होता है।

प्रत्यय के सभी शब्द अन्य बाकी शब्दो के अंत मे या पीछे ही जुड़ते है। और पीछे जुड़ने के बाद ही उस शब्द के मूल रूप में परिवर्तन लाते है। तो अब आप प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ भी जान चुकव है। चलिए अब हम आपको प्रत्यय के प्रकार बताते है।


प्रत्यय के कितने प्रकार है ?

हिंदी व्याकरण के अनुसार प्रत्यय दो प्रकार के होते है, और वह दोनों प्रकार हम आपको नीचे बताने जा रहे है।

  1. प्रत्यय का पहला प्रकार कृदंत प्रत्यय यह है।
  2. प्रत्यय का पहला प्रकार तद्धित प्रत्यय यह है।

चलिए हम सबसे पहले कृदंत प्रत्यय के बारे में जानते है और उसके बाद तद्धित प्रत्यय के बारे में जानेंगे।

1. कृदंत प्रत्यय क्या होता है ?

कृदंत प्रत्यय वह होता है जो संस्कृत की मूल धातुओं के साथ जुड़कर संज्ञा अथवा विशेषण का रूप लेते हैं। कृदंत प्रत्यय के भी पांच और प्रकार है जो हम आपको नीचे बता रहे है।

  1. कृतवाचक – यह वह प्रत्यय होते है जो कर्ता का बोध कराते है। जैसे कि आक – तैराक, चालाक।
  2. कर्मवाचक – यह वह प्रत्यय होते है जो कर्म का बोध कराते है। जैसे कि औना – खिलौना, बिछौना।
  3. करनवाचक – यह वह प्रत्यय होते है जो साधन का बोध कराते है। जैसे कि अन – बेलन, मंथन।
  4. भाववाचक – यह वह प्रत्यय होते है जो क्रिया के भाव का बोध कराते है। जैसे कि आप – मिलाप, विलाप।
  5. क्रियाबोधक – यह वह प्रत्यय होते है जो क्रिया शब्दो का बोध कराते है। जैसे कि हुए – चलते हुए, पढ़ते हुए।

2. तद्धित प्रत्यय क्या होता है ?

तद्धित प्रत्यय वह होता है जो धातु के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों प्रयुक्त होने वाले प्रत्यय है। तद्धित प्रत्यय के भी छह प्रकार होते है जो हम आपको नीचे बता रहे है।

  1. कर्तृवाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो कर्ता का बोध कराते है। जैसे कि एरा – सपेरा, लुटेरा, बसेरा।
  2. भाववाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो भाव का बोध कराते है। जैसे कि इमा – लालिमा, गरिमा, मधुरिमा।
  3. सम्बन्धवाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो सम्बन्ध का बोध कराते है। जैसे कि इत – फलित, घटित, द्रवित, रचित।
  4. गुणवाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो गुण का बोध कराते है। जैसे कि आ – सूखा, रुखा, भूखा।
  5. स्थानवाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो स्थान का बोध कराते है। जैसे कि ई – भोगी, रोगी, क्रोधी।
  6. ऊनतवाचक – यह वह प्रत्यय होते है, जो उनत का बोध करते है। जैसे कि ओला – खटोला, सँपोला, फफोला, मझोला।

प्रत्यय की विशेषताएं क्या है ?

प्रत्यय की कुछ विशेषताएं भी है, जो हम आपको नीचे बता रहे है।

  1. प्रत्यय यह दो शब्दों से मिलकर बनने वाला शब्द है।
  2. प्रत्यय यह शब्द जब तक किसी अन्य शब्द से जुड़ता नही है तब तक यह अर्थवान ही रहता है।
  3. प्रत्यय शब्दो से नए शब्दो की रचना होती है।
  4. प्रत्यय शब्द यह स्वतंत्र रूप से कभी भी प्रयोग नही किया जाता है।

विदेशी भाषा के प्रत्यय कौन से है ?

क्या आपको यह पता है, कि विदेशी भाषा के भी प्रत्यय होते है। हमारे भारत देश मे कई अन्य देशों के लुटेरे, राजाओं के आने से विदेशी संस्कृति के कुछ शब्द हिंदी भाषा मे भी मिल गए है। और इसी कारण उर्दू, तुर्की, अरबी फारसी जैसे कुछ शब्द हिंदी भाषा मे प्रयोग होने लगे है जो कि हम आपको नीचे बताने जा रहे है।

  1. हैवान + इयत = हैवानियत यह एक अरबी प्रत्यय है।
  2. माह + ईना = महीना यह एक फारसी प्रत्यय है।
  3. दुकान + दार = दुकानदार यह एक उर्दू प्रत्यय है।

Conclusion :-

तो इस लेख में हमने आपको Pratyay Kise Kahate Hain इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है।

हम आशा करते है, कि आज का यह लेख Pratyay Kise Kahate Hain आपको पसंद आया होगा। यदि आपको आज का यह लेख पसंद आया हो, तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और सोशल मीडिया साइट पर जरूर शेयर करे।


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