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Father Of Hindi

फादर ऑफ़ हिंदी कौन है ? – Father Of Hindi

by Pritam Yadav

Father Of Hindi :- दोस्तों, अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं के सामान्य ज्ञान विषय में छात्रों से Father Of Hindi के बारे में पूछा जाता है। परंतु कई छात्रों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण वे इसका उत्तर सही से नहीं दे पाते है।

लेकिन आज के इस लेख को पढ़ने के बाद सभी छात्र Father Of Hindi का उत्तर सही लिख पाएंगे। क्योंकि आज हम फादर ऑफ हिन्दी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे। तो चलिये बिना देरी किए शुरू करते है।


हिंदी के फादर कौन है ? ( Father Of Hindi )

फादर ऑफ हिंदी को सामान्य भाषा में हिंदी का जनक या हिन्दी के पिता कहा जाता है। तो अक्सर लोग यह भी जानना चाहते हैं, कि हिंदी का जनक किसे कहा जाता है तो हम आपको बता दें, कि

हिंदी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कई अलग-अलग भाषाओं जैसे हिंदी, पंजाबी, बंगाली, मारवाड़ी, गुजराती, इत्यादि में रचनाएं की हैं। इसलिए भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को हिंदी रंगमंच और आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता कहा जाता है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों पर ही अच्छी पकड़ थी और इन्होंने बहुत ही कम उम्र में ही हिंदी साहित्य के किताबों जैसे कवि वचन सुधा और हरिश्चंद्र मैगजीन का प्रकाशन किया था।


भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी ऑफ फादर क्यों थे ?

भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने ही सबसे पहले हिंदी साहित्य की शुरुआत की थी, जिसके कारण इन्हें हिंदी ऑफ फादर कहा जाता है।

अक्सर हमें हिंदी में भी यही पढ़ाया जाता है, कि हिंदी साहित्य की शुरुआत भारतेंदु काल से हुई थी। इसका अर्थ यह है कि भारतेंदु जी ने ही हिंदी साहित्य की शुरुआत की थी, इसलिए इन्हें हिंदी का जनक कहते हैं।


भारतेंदु हरिश्चंद्र जी कौन थे ? ( Father Of Hindi )

भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर को वाराणसी शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम गोपाल चंद्र था। इन्होंने अपने पूरे जीवन काल में कई तरह की कविताएं निबंध नाटक काव्य कृतियां इत्यादि लिखी है।

इसलिए इन्हें केवल हिंदी का जनक ही नहीं बल्कि साहित्यकार कवि निबंधकार पत्रकार और नाटककार भी कहा जाता है।

इनकी सबसे प्रमुख और लोकप्रिय रचनाओं में अंधेर नगरी और भारत दुर्दशा शामिल है। जब यह 5 साल की उम्र के थे तभी से इन्होंने कविताओं की रचना करना शुरू कर दिया था। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को बहुभाषाविद भी कहते हैं, क्योंकि इन्होंने कई अलग-अलग भाषाओं में अपनी रचनाएं की है। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की मृत्यु 6 जनवरी 1885 को हो गई थी।


भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

ऊपर हमने Father Of Hindi के बारे में जाना , अब हम भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य के बारे में जानते है।

चलिए हम भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में भी जान लेते हैं जिससे आप यह समझ पाएंगे, कि इन्हें हिंदी का जनक क्यों कहा जाता है ?

  1. जब भारतेंदु हरिश्चंद्र 15 वर्ष के थे तब यह जगन्नाथ मंदिर की यात्रा पर थे और तभी से यह बंगाल के पुनर्जागरण से प्रभावित हुए थे।
  2. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को भारतेंदु की उपाधि भी वाराणसी के कुछ विद्वानों द्वारा दी गई थी।
  3. भारतेंदु हरिश्चंद्र ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था जिसके अंतर्गत इन्होंने हरिश्चंद्र पत्रिका और कवि वचन सुधा जैसी लोकप्रिय पत्रिकाओं का संपादन किया था।
  4. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के नाम से एक डाक टिकट भी जारी किया गया था जब इनकी 126 वी जयंती थी।
  5. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के रचनाओं से भारत केकई वास्तविकता ओं के बारे में पता चलता है क्योंकि यह एक हिंदू परंपरा वादी व्यक्ति थे जिन्होंने नाटकों उपन्यासों सामाजिक और ऐतिहासिक उपन्यासों के बारे में लिखा है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रमुख रचनाएं कौनकौन सी हैं ?

ऐसे तो भारतीय हिंदू हरिश्चंद्र जी ने अपने पूरे जीवन काल में कई अलग-अलग रचनाएं की हैं जिनमें से हम आपको कुछ प्रमुख रचनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

नाटक

  • अंधेर नगरी
  • भारत दुर्दशा
  • सत्य हरिशचंद्र
  • वैदिक हिंसा न भवति इत्यादि

काव्य कृतियां

  • होली
  • मधु मुकुल
  • प्रेम प्रलाप
  • फूलों का गुच्छा
  • भक्त सर्वस्य
  • राग संग्रह
  • विनय प्रेम पचासा इत्यादि।

FAQ’S :

प्रश्न 1आधुनिक हिंदी का जनक किसे कहा जाता है ? ( Modern Father Of Hindi )

उत्तर - आधुनिक हिंदी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को कहा जाता है।

प्रश्न 2भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिंदी का जनक क्यों कहा जाता है ?

उत्तर - हिंदी साहित्य की शुरुआत भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने ही की थी, इसलिए इन्हें हिंदी का जनक 
कहा जाता है।

प्रश्न 3भारतेंदु जी के गुरु का क्या नाम था ?

उत्तर - भारतेंदु जी के गुरु का नाम हरदास कलमी था और यह शायरी किया करते थे।

प्रश्न 4भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचना हिंदी भाषा का प्रकाशन वर्ष क्या है ?

उत्तर - भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचना हिंदी भाषा का प्रकाशन वर्ष 1890 है। हालांकि इन्होंने इसकी रचना 
पहले ही कर दी थी परंतु यह बाद में प्रकाशित हुई।

प्रश्न 5हिंदी साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र का क्या योगदान है ?

उत्तर - हिंदी साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि इन्होंने ही हिंदी साहित्य 
की शुरुआत की और हिंदी साहित्य से संबंधित कई रचनाएं की। इन्होंने हिंदी साहित्य से संबंधित कम से
कम 17 नाटक की रचनाएं की और साथ ही कई काव्य कृतियों की भी रचनाएं की है।

निष्कर्ष :

आज के इस लेख में हमने Father Of Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त की।

उम्मीद है, कि इस लेख Father Of Hindi के माध्यम से आपको हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बारे में सभी जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आप इस प्रकार की अन्य जानकारियां पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।


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