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Karun Ras Ka Udaharan

Karun Ras: करुण रस की परिभाषा व उदाहरण – Karun Ras Ka Udaharan

by Pritam Yadav

Karun Ras Ka Udaharan :- हम लोगों को प्रारंभ से ही स्कूलों में अलग-अलग विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है, ताकि हमें सभी विषयों जैसे कि हिंदी,हिंदी व्याकरण,अंग्रेजी,गणित, विज्ञान इत्यादि जैसे विषयों का अध्ययन कराया जाता है, तो आज के इस लेख हम हिंदी व्याकरण से से संबंधित विषय Karun Ras Ka Udaharan के बारे में चर्चा करने वाले हैं।

यदि आप लोग Karun Ras Ka Udaharan एवं करुण रस से जुड़ी अन्य जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें, ताकि आपको करुण रस के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके, तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं अपना यह महत्वपूर्ण लेख एवं जानते हैं, करुण रस के बारे में ।


करुण रस क्या है ? – Karun Ras Ka Udaharan

करुण रस का स्थाई भावभाव शोक होता है, जिसका प्रयोग लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने, दुख प्रकट करने या दया प्रकट करने के रूप में किया जाता है, जब यही शोक नामक स्थाई भाव विभाव अनुभव एवं विचारी भाव से संयोग करता है, तो करुण रस की उत्पत्ति होती है, जब भी हमारे किसी प्रिय व्यक्ति या मनचाहे वस्तु का कोई अंत होता है तो हमारे मन में जो कष्ट होता है उसे ही हम करुण रस करते हैं।

दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जिस भी वस्तु को या जिस भी व्यक्ति को हम चाहते हैं यदि वह हमसे दूर हो जाता है या उसका कोई अनिष्ट होता है, तो हमारे हृदय में जो पीड़ा या जो कष्ट होता है उसे ही हम करुण रस कहते हैं।


करुण रस से जुड़ी अन्य जानकारियां

स्थाई भाव शोक

अनुभाव– प्रलाप, मूर्छा, छाती पीटना, रुदन इत्यादि।

संचारी भाव व्याधि, स्मृति, ग्लानी, श्रम, उन्माद, जड़ता, मोह, पस्मार, निर्वेद।

आलंबनप्रिय वस्तु या व्यक्ति की मृत्यु या फिर उसका नाश।

उद्दीपन  इस्ट के गुण और इससे संबंधित अर्थात इस्ट जुड़ी वस्तुओं का एवं वस्तुओं के चित्र का वर्णन, मृत शरीर।


करुण रस का उदाहरण – Karun Ras Ka Udaharan 

हम किसी भी चीज को अच्छी तरीके से तब समझ पाते हैं जब हम उस विषय के बारे में उसके किसी एक उदाहरण को अच्छे तरीके से समझ पाते हैं, यदि हम उसके उदाहरण को अच्छी तरीके से समझ जाते हैं, तो हमारा संदेश भी दूर हो जाता है,

और हम उसी से को समझ जाते हैं, हमने करुण रस के कुछ उदाहरण दिए हैं,जिन्हें पढ़कर आप करुण रस को अच्छी तरीके से समझ पाएंगे और वह उदाहरण निम्नलिखित हैं :-

  • शोक विकल सब रोवहिं रानी। रूप,सील, बल, तेज बखानी।

करहिंं विलाप अनेक प्रकारा। परहिं भूल तब बारहिं बारा।।

स्पष्टीकरण:- यहां पर राजा दशरथ के मृत्यु हो जाने पर रानियों के द्वारा शोक किए जाने का वर्णन दिया गया है, यहां पर स्थाई भाव शोक है तथा मृत राजा दशरथ आलंबन है और आश्रय रानियां है, रोना, राजा के बल, प्रताप आदि का वर्णन करना बार-बार भूमि पर गिरना अनुभव है स्मृति चिंता प्रलाप विषाद आदि संचारी भाव है, अतः यहां पर करुण रस है।

  • विस्तृत नभ का कोई कोना, मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली!
  • राम राम कहि राम राम कहि राम।

तनु परिहरी रघुवर बिरह राउ गयउ सूरधाम।

  • हुआ न यह भी भाग्य अभागा, किस पर विफल गर्व अब जागा?जिसने अपनाया था त्यागा, रहे स्मरण आते! सखी, वह मुझसे कह कर ही जाते।
  • ए मेरे वतन के लोगों,  जरा आंख में भर लो पानी। जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।।

जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी।जब तक थी सांस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी।।

  • मणि खोए भुजंग सी जननी, फन सा पटक रही थी शीशशीश, अंधी आज बना कर मुझको, क्या न्याय किया तुमने जगदीश।
  • मनहु बारीनिधि बूड जहाजु।

भयऊ बिकल बड बनकी समाजू।।

एकहिं एक देहू उपदेसू।

तजें राम हम जानि कलेसु।।

  • दुख ही जीवन की कथा रही।

क्या कहूं, आज जो नहीं कहीं।।

  • अभी तो मुकुट बंधा था माथ,

हुए कल ही हल्दी के हाथ,

खुले भी न थे लाज के बोल,

खिले थे चुम्बन शून्य कपोल.

हाय यहीं रुक गया यही संसार, बिना सिंदूर अनल अंगार, वातहत लतिका वह सुकुमार, पड़ी है,छिन्नाधार!

  • नाहिं त मोर परिनामा। कछु न बसाई भएँ बिधि बामा।।

अस कहि मुरुछि परा महि राऊ।

रामु लखनु सिय आनि देखाऊ।।

  • हा ! इसी अयश के हेतु जनन था मेरा,

निज जननी ही के हाथ हनन था मेरा .

  • ” हा! वृद्धा के अतुल धन हा! वृद्धता के सहारे! हा!

प्राणों के परम प्रिय हा! एक मेरे दुलारे! ”

  • मम अनुज पड़ा है चेतनाहीनहोके, तरल हृदयवाली जानकी भी नहीं है.

अब बहु दुःख से अल्प बोला न जाता, क्षणभर रह जाता है न उद्विग्नता से॥

  • तात तातहा तात पुकारी. परे भूमितल व्याकुल भारी॥

चलन न देखनपायउँतोही. तात न रामहिंसौंपेउ मोही

  • जथा पंख बिनु खग अति दीना. मनिबिनु फ़न करिबर कर हीना॥

अस ममजिवनबन्धु बिन तोही. जौ जड़ दैवजियावै मोही॥

  • तदनन्तर बैठी सभा उटज के आगे,

नीले वितान के तले दीप बहु जागे .


Karun Ras Ka Udaharan

  • यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को .

चौंके सब सुनकर अटल केकयी-स्वर को।

  • धोखा न दो भैयामुझे, इस भांति आकर के यहां

मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहां।

  • रही खरकती हाथ शूलस-सी, पीड़ा उर में दशरथ के, ग्लानि, त्रास, वेदना- विमंडित, शाप कथा वे कह न सके।
  • हे आर्य, रहा क्या भरत-अभीप्सित अब भी?

मिल गया अकण्टक राज्य उसे जब, तब भी?

  • ऐसे बेहाल बेवाइन सों पग,कंटक जाल लगे पुनि जोये.
  • सीता गई तुम भी चले मैं भी न जीयूंगा यहां सुग्रीव बोले साथ में जब जाएंगे वानर वहां।
  • हाय! महादुख पायो सका तुम,ऐये इतै न किते

दिन खोये..

देखि सुदामा की दीन दसा,करुना करिके करुनानिधि रोये.

पानी परात का हाथ छुयो नहिं,नैनन के जल सौं पग धोये

  • अब कौन अभीप्सित और आर्य, वह किसका?

संसार नष्ट है भ्रष्ट हुआ घर जिसका .

  • उसके आशय की थाह मिलेगी किसको?

जनकर जननी ही जान न पायी जिसको?


FAQ’S :-

Q1. करुण रस की परिभाषा क्या है

Ans :- जब हमारे किसी मन चाहे वस्तु या प्रिय व्यक्ति का हमसे दूर चले जाना या उसका 
कोई अनिष्ट हो जाता है, तो हमारे दिल में शोक नामक स्थाई भाव विभाव अनुभव एवं संचारी 
भाव के योग से करुण रस की उत्पत्ति करता है।

Q2. करुण रस का स्थाई भाव क्या है

Ans :- करुण रस का स्थाई भाव शोक है।

Q3. करुण रस का कोई एक उदाहरण बताइए।

Ans :- सीता गई तुम भी चले मैं भी न जीयूंगा यहां सुग्रीव बोले साथ में जब जाएंगे वानर वहां।

Q4. करुण रस का अनुभव बताइए।

 Ans :- करुण रस के अनुभव में व्यक्ति के शोक जताने की स्थिति में अपनी छाती पीटना, 
जोर जोर से रोना, भूमि पर गिर जाना, मूर्छा इत्यादि।

Q5. रस किसे कहते हैं

Ans :- किसी काव्य को पढ़ने या किसी रंगमंच को देखने में जो आनंद प्राप्त होता है, उसे हम रस कहते हैं।

Q6. रस के कितने प्रकार होते हैं

Ans :- मूल रूप से रचना प्रकार का होता है तथा इसके 11 भेद होते हैं।

निष्कर्ष:- दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखे गए इसलिए की सहायता से आपको Karun Ras Ka Udaharan के बारे में अवश्य जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी और यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख थोड़ा सा भी पसंद आए,

तो इसे अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ अवश्य साझा करें एवं इस Karun Ras Ka Udaharan को लेकर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो, तो कमेंट बॉक्स का प्रयोग करना ना भूलें।


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